आज हम जिस विषय पर बात करने जा रहे है, यह कोई फालतू की मोटीवेशनल बकवास नही, बल्कि एक तथ्यात्मक रुप से साबित हो चुकी घटना है, जिसे Placebo Effect (प्लेसिबो इफ़ेक्ट) के नाम से जाना जाता है।
Placebo Effect एक रहस्यमयी चीज़ है, जिसके ना केवल मानसिक बल्कि शारीरिक प्रभाव भी देखे गए है।
जब भी मैं इस प्रभाव के बारे में सुनता हूं, तो यह मुझे हर बार सोचने पर मजबूर कर देता है, कि कैसे एक “बेअसर सी शुगर पिल” किसी व्यक्ति का दर्द खत्म या कम कर देती है, जिन्हे लगता है कि यह दर्द की दवा है।
बहुत से लोग मुझसे “बॉडी बनाने के लिये कौन से सप्लीमेंट्स ले” यह सलाह मांगते है। इनमें से कुछ लोगों ने मुझे बताया कि किस तरह उनके जिम ट्रैनर ने उन्हे कोई सप्लीमेंट दिया, जिससे उनकी strength और muscle growth अचानक से बढ़ गई। जब मैनें उन “pre workout” सप्लीमेंट्स को देखा तो उनमें ऐसा कोई भी घटक नहीं था, जो वैज्ञानिक रुप से muscles और strength बढाने के लिये कारगर साबित हुआ हो।
Placebo Effect के कारण कई बार नकली चीज़े (sham substance) भी असली चीज़ों की तरह काम करती है।
दो दोस्त आपस में बात कर रहे थे। पहले ने कहा कि मुझे बुखार आ रहा है, तो दुसरे ने अचानक से कहा कि तू “फलाना डॉक्टर” के पास चला जा वह अच्छी दवाई देता है। तभी पहला दोस्त बोला कि नही यार मैं तो “ढिकाना डॉक्टर” के पास जाऊंगा, फलाना डॉक्टर की दवाई मुझे नही लगती।
इसके बाद दोनो की इसी बात पर बहस छिड़ गई कि कौन ज्यादा बेहतर है। जबकि दोनों डॉक्टर्स बुखार के लिये एक ही दवा (aceclofenac+paracetamol) देते है, हालांकि कम्पनी अलग होती है लेकिन इससे कोई फर्क नही पड़ता। तो ऐसा क्यों है कि दोनों डॉक्टर्स के एक ही दवा देने पर भी दोनों दोस्तों पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है। यहां बात आती है विश्वास की और कहा जाता है कि विश्वास पर तो दुनिया कायम है।
“विश्वास सबसे पुरानी दवा है जो मनुष्य को ज्ञात है।”
इसी विश्वास से उस प्रभाव का जन्म होता है, जो मानसिक रुप से शारिरीक रुप में बदल जाता है, जिसे हम Placebo Effect कहते है।
और इस artical का उददेश्य यही है कि आप जान सके कि जब केवल विश्वास के दम पर नकली चीज़ों से परिणाम मिल सकते है, तो खुद की असली क्षमताओ पर विश्वास करके आप ज्यादा ताकतवर क्यो नही बन सकते।
Placebo Effect क्या है?
एक placebo effect तब उत्पन्न होता है, जब कोई उपचार या तरीका किसी व्यक्ति पर प्रभाव डालता है और यह प्रभाव पूरी तरह से दिए जाने वाले उपचार या तरीके के प्रति उस व्यक्ति की धारणा पर निर्भर करता है। इसमें दिए जाने वाले उपचार या तरीके को placebo कहते है।
एक placebo ऐसा उपचार या तरीका होता है, जिसका कोई असली शारिरीक प्रभाव नही होता है। फिर भी कई बार इन placebos का मानसिक प्रभाव इतना अधिक होता है, कि यह अपने आप शारिरीक प्रभाव में बदल जाता है।
उदहारण के लिये अगर किसी को सरदर्द है आप उसे एक sugar pill (टॉफ़ी) देते हो यह बोलकर कि इसमें ऐसी सुपर दर्द निवारक दवा (painkiller) है, जो चुटकियों में किसी भी दर्द को बन्द कर सकती है। अगर उस व्यक्ति को आप पर विश्वास होगा तो, असल में उस sugar pill को खाते ही उसका सरदर्द अचानक गायब हो जायेगा। भले ही उस गोली में दर्द को बन्द करने वाला असली औषधीय तत्व (medicinal ingredient) ना हो।
Placebo Effect का मेडिकल क्षेत्र में उपयोग
Placebo effect का उपयोग अक्सर clinical trials (क्लिनिकल परीक्षण या रिसर्चो) में किया जाता है ताकि वैज्ञानिकों को पता चल सके कि कोई नई दवा या उपचार काम करता है या नहीं। इस तरह के में परीक्षण लोगों (volunteers) को दो ग्रुपो में बांट दिया जाता है।
एक ग्रुप के लोगों वह नई दवा दी जाती है, जिसका परीक्षण करना है और दुसरे ग्रुप के लोगों को नई दवा के नाम पर प्लेसिबो के रुप में sugar pill दी जाती है। इन लोगों मे से किसी को पता नही होता कि उन्हे असली दवा दी है या नही।
वैज्ञानिक तब उन लोगों के परिणामों की तुलना कर सकते हैं जिन्होंने नई दवा ली है और जिन्हें प्लेसीबो दिया है। इसके परिणाम से उन्हे पता चलता है कि नई दवा कितनी अच्छी तरह काम करती है। कई बार placebo effect के कारण sugar pill उस नई दवा से ज्यादा काम कर जाती है।
Placebo effect का उपयोग कई बार नकली सर्जरी (sham surgery) में भी किया जाता है। उदाहरण के लिये 1960 में किये गये इस अध्ययन में दिल के मरीजो (heart patients) को दो ग्रुपो में बांट दिया। इसमें एक ग्रुप के मरीज़ों की असली सर्जरी हुई। जबकि दुसरे ग्रुप के लोगों को दिखावटी चीरा (sham incision) लगाकर कहा गया कि उनकी भी सफलतापुर्वक सर्जरी हो गई है।
इसके बाद एक दिल के डॉक्टर (cardiologist), जिसे यह नही पता था कि किसकी असली सर्जरी हुयी है और किसकी नही, को उन दोनों ग्रुपो के परीक्षण करने को कहा गया। जिसके बाद बताया गया कि नकली चीरा लगे मरीज़ों में भी उसी तरह का सुधार आया, जिस तरह का सुधार असली सर्जरी वाले मरीज़ों में आया था।
Placebo Effect का ताकत बढाने में उपयोग
बॉडीबिल्डिंग में स्टेरोइड्स का महत्व कौन नहीं जानता? जो लोग लेते हैं वो भी जानते है और जो नही लेते वो भी। यहाँ मैंने स्टेरोइड्स का ज़िक्र इसकी प्रभावशीलता बताने के लिये नही, बल्कि इसके सामने Placebo effect की प्रभावशीलता बताने के लिये किया है। जिसमे दो अध्ययनो को प्रमुख माना जाता है।
पहला अध्ययन 1972 का है जिसमें 15 पुरूषों को एक strength ट्रेनिंग प्लान दिया गया और उनसे कहा गया कि जो भी इस ट्रेनिंग के पहले पड़ाव में सबसे बढ़िया प्रदर्शन करेगा, उसे आगे की प्रोग्रेस के लिये 4 हफ्तों तक लीगल स्टेरोइड दिया जायेगा। इसमें अच्छे प्रदर्शन के चलते 6 लोगों चुना गया जिन्हे आगे के पड़ाव के लिये स्टेरोइड दिया गया।
उनसे कहा गया कि उन्हे प्रतिदिन 10 mg dianabol (एक प्रकार का स्टेरोइड) दिया जाएगा, लेकिन असल में उन्हे placebo pills दी गई।
पहले हफ्ते में इन लोगों ने तीन एक्सरसाइजेस (seated shoulder press, military press और bench press) में औसतन 11 kg ज्यादा वजन उठाया था। जबकि दुसरे पड़ाव के चार हफ्तों में उन्होने औसतन 45 kg ज्यादा वजन उठाया, जो की स्टेरोइड्स न लेने वाले के लिये काफ़ी ज्यादा है।
यह सब इसलिये हुआ क्योंकि उन्हे लगा वे लोग स्टेरॉयड ले रहे है।
इसके बाद, दुसरा अध्ययन 2000 का है जिसमें 11 राष्ट्रिय स्तर के powerlifters को वजन उठाने के पहले “तेज़ काम करने वाले स्टेरॉयड” के नाम पर शुगर पिल्स दी गई।
मजेदार बात तो यह है कि वो लोग इतने बेवकूफ थे कि यह भी नही समझ पाये कि इतनी जल्दी काम करने वाले कोई स्टेरोइड्स नही होते।
नकली (sham) स्टेरोइड्स लेने के बाद अचानक से उन्होने पहले से 4-5% ज्यादा वजन उठाया। जिसे PR (personal record) कहते है। इसके बाद इन लोगों को अगले दो हफ्तों की ट्रेनिंग के दौरान भी sham स्टेरोइड्स दिए गये। जिससे उनके PR बढ़ते गये।
11 में से 5 लोगों को बता दिया गया कि वो लोग placebo effect के कारण पहले से ज्यादा वजन (PR) उठा पाये। जबकि बाकी 6 यही मानते रहे कि वो लोग स्टेरोइड्स पर है।
जिन 5 लोगों को सच पता था उनका PR फिर से वही आ गया जो इस अध्ययन से पहले था। जबकि अब उन्हे पता चल गया था की दो हफ्ते पहले जो उन्होने PR सेट किया था, वह भी नेचुरली (बगैर स्टेरॉयड) किया था और दो हफ्तों की training में जो उनकी वजन उठाने की क्षमता बढ़ी थी वह भी नेचुरली बढ़ी थी। फिर भी वो नया PR सेट करने में नाकाम ही नही रहे बल्कि जितनी क्षमता उन्होनें ट्रेनिंग के दौरान बढाई थी, वह भी खत्म हो गई।
इसके उल्टा वो 6 लोग जो सोच रहे थे कि वो अभी भी स्टेरोइड्स पर है, उन्होनें इस बार भी नये PR सेट किये।
इन दो अध्ययनों से हमे Placebo effect की प्रभावशीलता का पता तो चलता ही है, बल्कि यह भी पता चलता है कि स्टेरोइड्स सिर्फ शारिरीक स्तर पर ही नही, मानसिक स्तर पर भी काम करते है।
निष्कर्ष (Conclusion)
इन दोनों अध्ययनो के आधार पर ही इस आर्टीकल का टाईटल “आप आपकी सोच से भी ज्यादा ताकतवर है” रखा गया है। जिस तरह बाहरी स्टेरॉयड लेने के विचार से ही आपकी ताकत 4-5% तक बढ जाती है।
वैसे ही अगर आप खुद की क्षमताओं पर विश्वास करें, अपना नजरिया बदल कर अपनी कमजोरियों के बजाय अपनी ताकत पर विश्वास रखें, तो आप भी आपकी सोच से ज्यादा ताकतवर बन सकते हो। इस बात पर मंथन अवश्य करें।