Body composition in hindi

Best Guide To Body Composition In Hindi | बॉडी कंपोजिशन क्या है और इसे कैसे जाने?

Body Composition (बॉडी कंपोजिशन) के कॉन्सेप्ट को आसान भाषा में समझा जाए तो इसका मतलब है यह जानना की हमारा शरीर किन चीज़ों (रासायनिक तत्वों या कोशिकाओं) से मिलकर बना है ।

अब कुछ लोग सोच रहे होंगे कि ” मुझे तो बस कुछ किलो वजन कम करना है और फिट होना है । मेरे शरीर के अंदर क्या केमिकल लोचा हैं, मैं यह सब जानकर क्या करूंगा ? मुझे कौन सा बायोलॉजी का एग्जाम देना है ?

अगर आप भी यही सोच रहे हैं, तो आप भी इस सबसे बड़े मिथ का शिकार है कि ” आपका वजन ज्यादा है तो आप अस्वस्थ है और वजन कम है तो स्वस्थ । या फिर दुबले दिखते है तो कमजोर है और मोटे दिखते है तो ताकतवर ।” 

अगर आपको सही मायनों में स्वस्थ होना है या फिर एक ऐसा शरीर पाना है जो सिर्फ कपड़ों में ही नहीं, बल्कि बिना कपड़ों के भी अच्छा दिखे । जिसे आजकल मस्क्युलर और रिप्ड फिजिक कहते है । तो आपको भी body composition को जानना जरूरी है ।

जो लोग body Composition को जानते है उनमें से ज्यादातर लोगों का फिटनेस लक्ष्य (goal) फैट लॉस करना और मसल्स बनाना या फिर वर्तमान बॉडी फैट और मसल्स के स्तर को बनाए रखना होता है ।

इसके अलावा कई लोग जो फिटनेस में नये है और body composition को नहीं जानते, वो आज भी bodyweight को ही फिटनेस का मुख्य सूचक मानते है ।

अगर आप भी यही मानते है, तो आपको जानना जरुरी है कि स्वस्थ होने, शारीरक क्षमता बढ़ाने और अच्छे दिखने के लिये body composition को बदलना ज्यादा प्रभावी तरीका है बजाय body weight को कम या ज्यादा करने से ।

Body composition क्या है?

Body composition एक ऐसी विधि है जिससे जाना जा सकता है कि हमारा शरीर कौन-कौन सी चीज़ो से मिलकर बना है । वैसे तो हमारा शरीर पानी, फैट, प्रोटीन और मिनरल्स से बना होता है । लेकिन इसे आसानी से समझने के लिये इसे दो भागों (2 components model) में बांटा गया है, जिन्हें fat mass (FM) और fat free mass (FFM) कहा जाता है ।

शरीर में पाये जाने वाले सम्पूर्ण फैट (body fat) को fat mass (FM) के अंतर्गत रखा गया है । हमारे हृदय, फेफड़ों, लीवर, तिल्ली, किडनी, माँस-पेशियों, हड्डियों, आँतो और तंत्रिका तंत्र में पाये जाने वाले फैट को essential fat कहते है; जबकि हमारे आन्तरिक ऑर्गन्स और त्वचा के नीचे जमा होने वाले फैट को storage fat कहा जाता है ।

इसके अलावा fat free mass (FFM) के अंतर्गत मांसपेशियां, हड्डियां, पानी, आन्तरिक ऑर्गन्स और अन्य ऊतक आते है । जबकि हड्डियों और आंतरिक ऑर्गन्स में कुछ मात्रा में essential fat पाया जाता है तो इसे fat free mass ना कहकर, lean body mass (LBM) कहा जाता है । FFM को निकालने के लिये सम्पूर्ण शरीर के वजन में से essential fat का अनुमान लगाकर उसे घटा दिया जाता है ।

हमें हमारा body composition क्यो पता होना चाहिये?

जैसा कि मैनें ऊपर शुरु में बताया था कि किस तरह कई लोग वजन को बढ़ाने या घटाने के लिये exercise और diet चालू करते हैं । जो लोग नई diet और exercise चालू करते है, उनमें से अधिकतर लोगों का फैट लॉस और मसल बिल्डिंग दोनों एक साथ होते है । जिसे body recomposition कहा जाता है ।

उदाहरण के लिये अगर उन्होनें 1 kg मसल गैन किया और उसी समय 1 kg फैट लॉस किया, तो तोलने पर शरीर का वजन बराबर रहेगा । 

कई महिनों की diet और exercise के बाद भी अगर आपका वजन एक जैसा ही रहेगा तो आप निराश हो जाओगे ।

तो क्या महिनों की मेहनत बेकार गई ? 

कदापि नहीं ।

अगर आप body composition को देखोगे तो आपको कुछ और ही परिणाम मिलेंगे । इसलिये हमारा प्रमुख लक्ष्य fat loss और muscle gain होना चाहिये ना कि weight loss और weight gain होना चाहिए ।

इसलिए जब भी हमें वजन कम करना या बढ़ाना है, तो muscles और fat की गणना करना बहुत जरुरी है ।

मान लो अगर आपने वजन कम किया और उसमें अगर muscle mass  कम हो गया तो क्या उसे एक स्वस्थ फैट लॉस माना जायेगा ?

हरगिज़ नही ।

इसी प्रकार वजन बढ़ाते समय अगर muscle mass की जगह fat mass ज्यादा बढ़ता है तो वह भी वजन बढ़ाने का अस्वस्थ तरीका माना जायेगा ।

आज भी कई लोगों का मानना है कि दुबले पतले व्यक्ति हमेशा स्वस्थ होते है । लेकिन अगर कोई व्यक्ति सिर्फ देखने में दुबला है लेकिन उसका फैट ज्यादा है, तो वह कैसे स्वस्थ हो सकता है । ऐसे लोगों को fitness की भाषा मे “skinny fat” कहा जाता है । किसी भी skinny fat व्यक्ति को बीमारियों का खतरा उतना ही होता है जितना किसी मोटे व्यक्ति को ।

BMI vs Body Composition

वैसे तो अनगिनत साइंटिफिक रिसर्चेस इस बात की पुष्टि करती है कि हमारे स्वास्थ्य और हमारे शरीर के बॉडी फैट का सीधा संबंध है और इनमें से बहुत सी रिसर्च में बॉडी फैट का स्तर जानने के लिए BMI का उपयोग किया जाता है ।

BMI का पुरा मतलब “body mass index” है । यह एक सरल गणितीय समीकरण है जिससे यह आसानी से पता चल जाता है कि आपका आदर्श वजन आपकी लम्बाई के अनुसार कितना होना चाहिए ।

डॉक्टर्स द्वारा इसका उपयोग चिकित्सा जगत में बहुत लोकप्रिय है । आपको इंटरनेट पर आसानी से BMI calculator मिल जाएगा, जिसमें सिर्फ आपका वजन और लम्बाई डालने से आपको पता चल जायेगा कि आप underweight हो या overweight हो ।

लेकिन समझने वाली बात यह है कि सिर्फ BMI के द्वारा किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य और बीमारियों के खतरे का पता लगाना अंधेरे में तीर चलाने के बराबर है । 

क्योंकि उदाहरण के लिये अगर हम एक ही जैसी लम्बाई और वजन वाले दो व्यक्तियों को ले, तो दोनो का BMI एक जैसा निकलेगा ।

लेकिन हो सकता है कि दोनों में से एक व्यक्ति कई वर्षों से प्रोग्रेसिव स्ट्रेंथ ट्रेनिंग कर रहा है और अच्छी डाइट ले रहा है । तो ज़ाहिर है कि उसका बॉडी फैट कम और muscle mass ज्यादा होगा ।

जबकि दूसरी ओर वह व्यक्ति है, जिसने पूरे जीवनकाल में एक push-up भी नही लगाया और कभी हेल्दी डाइट नहीं ली। 

तो आप ही बताइए दोनों में से कौन स्वस्थ और कौन अस्वस्थ होगा ?

दोनों में से किसे बीमारियों का खतरा ज्यादा होगा ?

जबकि दोनों का BMI एक समान है । 

BMI vs Body Composition

इसके अलावा BMI के फॉर्मूले में व्यक्ति की उम्र और लिंग का भी कोई ज़िक्र नहीं किया जाता । क्योंकि असल जिंदगी में महिलाओं के शरीर में पुरुषों के मुकाबले ज्यादा फैट पाया जाता है । 

ऐसा क्यों ?

क्योंकि दोनों की जैविक सरंचना एक दूसरे से अलग होती है । जोकि नीचे दिए गए बॉडीफेट चार्ट से आपको पता लग जायेगा ।  

वहीं दूसरी ओर BMI की तुलना में body composition से विशेष रूप से पता लगाया जा सकता है कि शरीर के पूरे वजन में से lean mass (मांसपेशियां, हड्डियां, पानी, आन्तरिक ऑर्गन्स) कितना है और fat mass कितना है ।

Body Composition से हमें शरीर का ज्यादा व्यावहारिक ज्ञान मिलता है, जबकि BMI एक तुक्के के समान है ।

एक स्वस्थ शरीर का body composition कितना होना चाहिये?

एक स्वस्थ body composition वह होता है जिसमें fat-free mass (मुख्य रूप से muscle mass) ज्यादा होता है और fat mass (body fat) कम होता है ।

इसके विपरीत एक अस्वस्थ body composition वह होगा जिसमें fat mass ज्यादा और fat-free mass कम होगा ।

यहां विभिन्न प्रकार के लोगों के लिए अमेरिकन काउंसिल ऑन एक्सरसाइज (ACE) द्वारा body fat की विभिन्न श्रेणियाँ दी गई हैं :

body fat percentage chart by ACE

ACE के द्वारा दिए गये इस वर्गीकरण में अगर आप “obese” की श्रेणी में आते हो तो, अचानक तो नहीं लेकिन समय बीतने के साथ-साथ आपको कई मोटापे से सम्बंधित बीमारियों और अन्य स्वास्थ्य संबंधी मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है ।

इसके अलावा अगर आपका बॉडी फैट essential fat की श्रेणी में या इससे कम होता है, तो ज्यादा समय तक इस श्रेणी में रहना भी शरीर के लिये हानिकारक हो सकता है ।

सामान्य रूप से एक स्वस्थ बॉडीफैट प्रतिशत पुरुषों के लिए 10 से 15 प्रतिशत और महिलाओं के लिए 15 से 25 प्रतिशत तक होना चाहिए । 

क्योंकि अगर पुरुषों का बॉडी फैट परसेंटेज लंबे समय तक 10% से कम होता है, तो उन्हें मेंटल और सेक्सुअल हेल्थ से सम्बन्धित परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है और 15% से ऊपर होने पर अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती है ।

इसी प्रकार महिलाओं के लिए 15-20% तक का बॉडी फैट परसेंटेज पर्याप्त हो सकता है, जिसमें वह नियमित मासिक धर्म चक्र को मेंटेन कर सकती है और महिलाओ में ज्यादा से ज्यादा 25% तक अन्य गंभीर स्वास्थ्य संबंधी तकलीफे नही देखी गई है । 

जैसा कि मैंने ऊपर बताया था की ACE के चार्ट से यह आसानी से पता चल जाता है कि जैविक भिन्नताओं के कारण पुरुषों की तुलना में महिलाओं के शरीर में वसा प्रतिशत किसी भी स्तर पर अधिक होगा । 

जहां एक ओर ACE द्वारा दिया गया चार्ट व्यक्ति के लिंग के आधार पर बॉडी फैट परसेंटेज के बारे में आसानी से बता देता है, वही दूसरी ओर इसकी सबसे बड़ी कमी यह है कि इसमें व्यक्ति की उम्र पर ध्यान नहीं दिया गया है ।

अगर हमें लिंग और उम्र दोनों का अंतर पता हो तो बॉडी फैट का पता लगाना ज्यादा आसान हो जाता है ।

इसलिए हम नीचे दिए गए डॉ. एंड्रयू जैक्सन और एम.एल. पोलक के अध्ययन पर आधारित इस चार्ट को देख सकते है, जिसमें हम gender के अलावा age group को भी अमल में ला सकते हैं ।

Body composition कैसे पता करें?

Body composition का पता लगाने में उपयोग होने वाले सारे उपकरणों में सबसे पहले body fat percentage निकाला जाता है । इसके बाद total fat mass और fat free mass की गणना की जाती है ।

Body composition का पता लगाने के बहुत से तरीके है । कुछ में इसे जाँचने के लिये प्रशिक्षित और तकनीकी जानकारी रखने वाले लोगों की जरूरत पड़ती है, जिसकी प्रक्रिया लम्बी और महंगी होती है । जबकि कुछ इतनी सरल और सस्ती होती है, जिसमें आप स्वयं इसे कर सकते है ।

1. BIA (Bioelectric Impedance Analysis)

यह body composition जानने की सबसे सरल प्रक्रिया है । बाज़ार में BIA के बहुत से प्रकार के उपकरण उप्लब्ध है । जिसमें से कई ( body composition scales और मॉनिटर ) किफायती और पोर्टेबल है ।

इस विधि में इन उपकरणों (बायोइलेक्ट्रिक इम्पीडेन्स डिवाइसेस) के द्वारा शरीर में इलेक्ट्रिक करंट दौड़ाया जाता है, जिसमें शरीर के द्वारा किये जाने वाले इलेक्ट्रिकल करंट के  प्रतिरोध (resistance) को नापा जाता है ।

डरिये मत, इस करंट से आपको झटका नहीं लगेगा, क्योंकि ये current बहुत हल्का होता है ।

हमारे शरीर के fat free mass (मांसपेशियों) में 70% से ज्यादा पानी होता है, जिससे ये विद्युत चालक (electrical conductor) की तरह काम करते है, जबकि body fat में पानी की मात्रा बहुत कम होती है जिससे ये कुचालक (electrical insulators) की तरह काम करते है । इसका मतलब शरीर में जितना कम फैट होगा उतना ही शरीर conductive (विद्युत प्रवाह आसानी से) होगा ।

इस तरह के डिवाइसेस में धातु के चार इलेक्ट्रॉड्स लगे होते है । जिसमें से दो इलेक्ट्रोड वोल्टेज उत्पन्न करते हैं और अन्य दो बचे हुए वोल्टेज को मापते हैं जो शरीर से करंट गुजरने के बाद रहता है। इस शुरुआती और आखरी वोल्टेज के बीच के अनुपात को इम्पीडेन्स (प्रतिबाधा) कहते है ।

इस इम्पीडेन्स की वेल्यू को शरीर के कई factors के साथ मिलाकर एक जटिल अल्गोरिथम तैयार किया जाता है, जो कि इन सारी चीजों को मिलाकर body fat percentage में बदल देता है । घबराइये मत, ये सारी गणना मशीन कर लेती है, आपको करने की जरूरत नही है ।

इसकी विधि सबसे बड़ी समस्या यह है कि इसमें इम्पीडेन्स की वेल्यू हमारे शरीर की कुल पानी की मात्रा पर निर्भर करती है और दिनभर में कई बार शरीर में पानी की मात्रा ऊपर नीचे होती रहती है ।

मतलब जितनी बार पानी की मात्रा बदलेगी, उतनी बार ही इम्पीडेन्स बदलेगा और body fat percentage भी उसी के अनुसार बदलेगा । इसके अलावा इम्पीडेन्स की वेल्यू शरीर के तापमान जैसे अन्य कई कारकों पर भी निर्भर करती है ।

इस विधि से सबसे अच्छे परिणाम प्राप्त करने के लिये इसका उपयोग हमेशा दिन के उस समय किया जाना चाहिये, जब शरीर में पानी की मात्रा और तापमान एक जैसा बना रहता है ।

2. Body Fat Calipers के द्वारा Skinfold Testing   

स्किनफ़ोल्ड टेस्ट body fat percentage को मापने के सबसे बुनियादी और पुराने तरीकों में से एक है । इस विधि में जिन calipers का इस्तेमाल किया जाता हैं, वह सस्ते, सुविधाजनक और आसानी से उप्लब्ध होते है ।

इस testing में caliper के द्वारा शरीर के कुछ खास स्थानों की चमड़ी (स्किन के नीचे की subcutaneous fat की लेयर) को उँगलियो से दबाकर (pinch करके), उस चमड़ी की मोटाई को मापा जाता है ।

इसके बाद इन मापों की जोड़ कर उसे Calipers के साथ दिए गये चार्ट या फिर किसी online calculater के द्वारा मिलाकर आसानी से body fat percentage प्राप्त किया जा सकता है ।

इस विधि में skinfold को मापने के लिये 3-site measurement और 7-site measurement का इस्तेमाल किया जाता हैं । 

3-site measurement में पुरुष अपना नाप खुद भी ले सकते है, जबकि महिलाओं को tricep के लिये किसी दुसरे व्यक्ति के सहयोग की जरूरत पड़ती है । इसके अलावा 7-site measurement में पुरुषों और महिलाओं दोनों को सहयोग की आवश्यकता पड़ती है ।

शरीर के वह स्थान जहाँ से नाप लिया जाता है (skinfold sites) – (1) Tricep (2) Chest (3) Subscapular (4) Midaxillary (5) Suprailiac (6) Abdominal (7) Thigh

Skinfold Testing में गलतियो की काफ़ी गुंजायीश रहती है । एक तो अगर इसमें तव्चा को ज्यादा पकड़ लिया जाये तो caliper की रीडिंग ज्यादा आ सकती हैं और कम पकड़ा जाये तो रीडिंग कम आ सकती है ।

दुसरा यह कि इसमें केवल एक ही प्रकार के फैट (subcutaneous fat), जो कि तव्चा के नीचे होता है, को नापा जाता है । ऐसा जरुरी नहीं कि हर व्यक्ति के शरीर में body fat distribution एक जैसा हो ।

इसके अलावा dehydration के कारण भी skinfold की मोटाई में कमी आ सकती है ।

अगर आप इससे सही परिणाम चाहते हैं तो इन बातों पर ध्यान दें ।

  1. हमेशा किसी भी site के एक ही क्षेत्र को पकड़े और नापे ।
  2. हर बार नापते समय शरीर एक ही जैसी परिस्थति में हो ।
  3. हर हफ्ते इसको नापा जाये ।

ऐसा करने से आपको पता चल जायेगा कि हर बार के रुझानों में क्या क्या बदलाव आता है और आप सही कर रहे है या नही ।

3. Tape measurement method 

Tape measurement method सबसे आसान और सबसे सुलभ तरीका है, body fat percentage जानने का । इसमें सिर्फ एक चीज़ की जरूरत पड़ती हैं, जिसे हम नापने वाली टेप कहते है । इस विधि में टेप के द्वारा शरीर के कुछ हिस्सो की गोलाई (circumference) को नापा जाता है ।

Tape measurement के जरिये body fat percentage को नापने के दो तरीके है ।

US Navy Body Fat Formula 

इसमें महिलाओं के लिये गर्दन (neck), कमर (waist) और कुल्हे (hips) का नाप लेना होता है और पुरूषों के लिये केवल गर्दन और कमर का नाप लेते है । 

इनका जो भी नाप आता है; उसे height, weight और gender के साथ मिलाकर इस online calculator में डाल कर body fat percentage पता किया जा सकता है ।

YMCA Body Fat Formula

इसमें महिलाओं और पुरूषों दोनो के लिये केवल कमर (waist) का नाप लिया जाता है, फिर उसे weight और gender के साथ मिलाकर इस online calculator के द्वारा body fat percentage पता किया जा सकता है ।

इस पद्धति में गलती की गुंजायीश तब होती है, जब नाप ठीक से ना लिये जाये । इसके अलावा इसमें केवल body fat percentage का अनुमान लगाया जाता है, जो कई लोगों के लिये अलग अलग भी हो सकता है । 

4. Look and compare method 

यह घर पर ही body fat percentage चेक करने का सबसे आसान तरीका है । इसमें सिर्फ आपको चाहिये – बाज़ सी तेज़ नज़र । नही है तो साधरण आंखों से भी काम चल जायेगा ।

किसी भी इन्सान के body composition का ठीक ठाक अंदाज़ा सिर्फ उसे देखकर इसलिये लगाया जा सकता हैं । क्योंकि अलग-अलग body fat percentage वाले लोगों के शरीर की दिखावट इस बात पर निर्भर करती है कि उनके शरीर में muscle mass कितना हैं ।

इस विधि में हर हफ्ते अपने शरीर का फोटो लिया जाता है, जिन्हें progress pictures कहा जाता है । हर हफ्ते ली गई इन फोटोज़ को compare करके देखें । अगर पिछ्ले फोटो के मुकाबले आपके muscle में ज्यादा definition दिखाई देती है, तो समझ लिजिये आपका body fat कम हो रहा है ।

अब जब आपको body fat percentage जानना है तो आपको आपकी फोटो को नीचे दी गई sample body fat percentage वाली फोटो से compare करके देखना पड़ेगा । इससे आपको आपके body fat percentage का तकरीबन अंदाज़ा लग जायेगा । 

Men body fat percentage sample pictures by builtlean.com
Women body fat percentage sample pictures by builtlean.com

 

5. Dual-Energy X-Ray Absorptiometry (DEXA या DXA)

DEXA या DXA scan को body composition पता करने का सबसे एडवांस और सबसे सटीक तरीका मना जाता है । इसमें X-Ray तकनीक के द्वारा पूरे शरीर को scan करके total body fat और fat-free mass का पता लगाया जाता है ।

इस मशीन का नाम dual-energy x-ray absorptiometry इसलिए रखा गया है क्योंकि इसमें दो तरह की x-ray के द्वारा body fat percentage के साथ साथ bone, muscle और water composition का पता लगाया जाता है ।

Dexa scan की एक खामी यह है कि ये आसानी से उप्लब्ध नही होती है । यह सभी hospitals और diagnostic centers में उप्लब्ध नही होती है । इसके अलावा इसकी दुसरी खामी इसका महँगा होना है ।

6. Hydrostatic Weighing

Hydrostatic weighing जिसे underwater weighing या hydrodensitometry के नाम से भी जाना जाता हैं, body fat percentage निकालने की क्लासिक और सबसे सटीक विधियों में से एक है ।

इसमें पानी के विस्थापन (water displacement method) के सिद्धान्त का उपयोग किया जाता है ।

इसमें एक बड़े बाथटब के जैसा पानी का टैंक होता है, जिसमें वजन तोल्ने वाली scale से एक सीट (बैठने के लिये) को लटका दिया जाता है, जिस पर पानी के अंदर वजन तोला जाता है । इसमें व्यक्ति को पानी में पुरी तरह से डूबने के साथ-साथ साँस को बाहर छोड़कर फेफडों को पूरी तरह से खाली करने का कहा जाता है । 

सांस को बाहर निकालने के बाद फेफड़ों में थोड़ी बहुत हवा बचती है उसे residual lung volume माना जाता है । 

जब शरीर का पानी के अंदर तथा बाहर के दोनों वजन और residual lung volume का पता लग जाता है, तो इनसे शरीर के पुरे घनत्व (total body density) की गणना की जाती है । इसके बाद total body density से body fat percentage की गणना की जाती है ।

Hydrostatic underwater weighing आर्कमिडीज के सिद्धान्त पर आधारित है, जिसके अनुसार पानी में डूबी किसी वस्तु के द्वारा विस्थापित किये गये द्रव की मात्रा, उस वस्तु के आयतन के बराबर होती हैं ।

हड्डियों और मांसपेशियों का घनत्व चर्बी से ज्यादा होता है, जिससे ये कम आयतन घेरती है । इसी कारण से muscles पानी में डूब जाती है और फैट तैरता रहता है । इसका मतलब जिस व्यक्ति में muscle mass ज्यादा होगा, तो उसका वजन पानी के अंदर भी ज्यादा होगा ।

वैसे तो ये body composition का पता लगाने के लिये सबसे बढ़िया तरीकों में से एक है । लेकिन इसकी सबसे बड़ी खामी इसकी उपलब्धता है । इसके अलावा अन्य कमियां देखी जाए तो यह दुसरे तरीकों के मुकाबले कम user-friendly है और इस test की कीमत भी ज्यादा होती है ।

7. Air Displacement Plethysmography

इस विधि में body composition को जानने के लिये हवा के विस्थापन (air displacement ) का उपयोग किया जाता है, जो कि water displacement की तरह ही काम करता है । इसमें यूज़ होने वाला डिवाइस एक बड़े अण्डे के आकार की मशीन होती है, जिसे BOD POD कहते है ।

इसमें हवा के दवाब में होने वाले परिवर्तनों से इस अण्डे में बैठे व्यक्ति के शरीर का आयतन ज्ञात किया जाता है । इसके बाद शरीर के वजन (body weight) को शरीर के आयतन (body volume) से विभाजित करके शरीर के घनत्व (body density) का पता लगाया जाता है ।

उसके बाद body density को उसी समीकरण में डाला जाता है, जिसका उपयोग hydrostatic Weighing में किया जाता है और इस प्रकार body composition का पता लगाया जाता है ।

इस विधि की सटीकता बहुत अच्छी है, लेकिन आम आदमी को इतनी सटीकता की जरूरत नही और उनके लिए आसानी से उपलब्ध भी नहीं होती । वैसे भी ये आम आदमी के लिये body composition जानने का महँगा, असुविधाजनक और असामान्य तरीका है ।

8. Magnetic Resonance Imaging (MRI)

MRI का नाम आपने पहले भी सुना होगा क्योंकि आम तौर पर इसका चिकित्सकीय (medical) कार्यो में काफ़ी उपयोग किया जाता है ।

MRI में imaging technique का इस्तेमाल किया जाता है । मतलब इसमें एक MRI scanner के द्वारा चुम्बकीय क्षेत्र और रेडियो तरंगों का उपयोग करके शरीर के अंदर की विस्तृत 2D images तैयार की जाती है । इसमें technician इन images का ध्यानपूर्वक आकलन करके पता लगाता है कि शरीर के कुल वजन में से body fat percentage कितना है ।

इस विधि को body fat percentage निकालने की सबसे सटीक तरीका माना जा सकता है क्योंकि इसमें पेट के अंदर की चर्बी, जिसे visceral fat कहते है, का भी पता लग जाता है ।

इनका उपयोग ज्यादातर अन्य मैडिकल कारणों में किया जाता है, ना कि body fat जानने के लिये । कोई भी डॉक्टर सिर्फ body fat percentage जानने के लिये इसे prescribe नहीं करता । इसके अलावा ये जाँचें बहुत महंगी होती है ।

निष्कर्ष (Conclusion) 

ध्यान देने योग्य बात

चाहे आप कोई भी तरीका इस्तेमाल कर लो, body composition को एकदम सटीक रुप से measure करना मुश्किल है और इसकी सटीकता में तब ज्यादा कमी आ जाती है, जब आप इसे घर पर करते हो । हर तरीके से आपको अलग अलग परिणाम मिलेंगे । कई लोग सटीकता के चक्कर में अलग अलग विधियों पर पैसे बर्बाद करते है ।

देखा जाये तो body composition को जानने का सबसे सटीक और एकमात्र तरीका है – विच्छेदन । जिसमें शरीर को काटकर उसके अवयवों को अलग करके नापा जा सकता है । मुझे नहीं लगता कि कोई भी body composition के सटीक नम्बर के लिये मरना चाहेगा ।

इसके अलावा वैज्ञानिक multi-compartment model का उपयोग करते है, जो कि आम आदमी के लिये बिल्कुल भी व्यावहारिक नही है ।

हमें Body composition इसलिये जानना जरुरी है ताकि हमें पता चल सके कि जो training, diet और supplement हम ले रहे है; वो काम कर रहे है या नही ?

लेकिन इसके लिये हमें सटीक नम्बर की बिल्कुल भी जरूरत नही है । सही बात तो यह है कि पूरी फिटनेस की दुनिया ही अंदाजे पर टिकी है । किसी भी जिन्दा इन्सान के बारे में सटीक रुप से यह नही बताया जा सकता कि उसके शरीर में क्या चल रहा है ।

Body composition जानने के लिये सबसे जरुरी है, वो तरीका जो आपके लिये सुविधाजनक और भरोसेमंद हो । वो तरीका नहीं जो सबसे सटीक हो ।

क्या करें

घर पर Body composition को जानने के लिये ऊपर बताये गये पहले चार तरीकों में से कोई भी एक तरीका चुनें और हमेशा उसी का उपयोग करें । हर हफ्ते इसे चेक करें, जिससे आपको अंदाज़ा रहेगा कि आप सही रास्ते पर हो या नही । ध्यान रखे कि जब भी आप body composition चेक करे, हमेशा एक जैसी पारिस्थित हो ।

उदाहरण के लिये- हर हफ्ते sunday की सुबह, खाली पेट, एक गिलास पानी पीकर और बाथरुम यूज़ करने के बाद चेक करे और हर हफ्ते इसी परिस्थिती में चेक करें ।

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