देवियों और सज्जनों, आज हम कैफ़ीन की रोमांचक और जादुई दुनिया का सफर करने जा रहे है, इसलिए एक हाथ में अपनी फेवरेट कॉफी का मग लेकर, अपनी कुर्सी की पेटी बांध लीजिए और तैयार हो जाइए एक कैफीनयुक्त सवारी के लिए।
रोज़ सुबह आप नींद की दुश्मन अलार्म घड़ी को बंद करके, किसी जिंदा लाश की तरह बिस्तर से निकलते हो। लेकिन आपको पता है कि एक ऐसा मसीहा आपका इंतजार कर रहा है, जो आपको दिनभर के लिए सुपरचार्ज कर सकता है। हाँ, मैं उस जादुई अमृत के बारे में बात कर रहा हूँ जिसे हम सभी जानते हैं और प्यार करते हैं: कैफीन!
कैफीन इसके उत्तेजक (stimulating) प्रभाव और अनगिनत लाभों के साथ फिटनेस की दुनिया में सभी का चहेता बन गया है। यह एक ऐसा लीगल और साइकोएक्टिव ड्रग है; जो बॉडीबिल्डर्स, एथलीट्स और रेगुलर जिम जाने वालो के लिए एक आम सप्लीमेंट बनकर रह गया है।
अगर हम कैफीन पर किए गए कई अध्ययनों की माने, तो यह सतर्कता बढ़ा सकता है, फोकस तेज कर सकता है, मूड में सुधार कर सकता है, वर्कआउट के कारण होने वाले दर्द को सहन करने में उपयोगी हो सकता है, फैट बर्निंग कर सकता है। कुल मिलाकर एथलीटों को जिम और अन्य खेलों में ज्यादा समय तक ट्रेनिंग करने में मदद कर सकता है।
आज हम इस “आर्टिकल-सह-गाइड” में जानेंगे की क्या कैफ़ीन सच में एक ऐसा जादुई हथियार है, जो ना सिर्फ वर्कआउट के लिए ईंधन का काम करता है, बल्कि हमारी कार्यक्षमता को कई गुना तक बढ़ा सकता है।
या फिर असीम ऊर्जा और परफॉर्मेंस बढाने के वादों में फुसलाकर, केवल दिल की धड़कनों को तेज करके और चिड़चिड़ा बनाकर छोड़ देता है।
इसके अलावा कैफ़ीन के क्या-क्या फायदे और नुकसान हो सकते है, इसे कितनी मात्रा में लेना चाहिए आदि पर भी विस्तार से चर्चा करेंगे।
लेकिन इन सबसे पहले यह जान लेते है, कि Caffeine क्या है, कहां से आया और कैसे काम करता है।
Caffeine क्या है और कैसे काम करता है? –
कैफीन (1,3,7-trimethylxanthine) एक प्राकृतिक उत्तेजक (stimulant) है, जो ज़ैंथिन (xanthines या methylxanthines) नामक यौगिकों के वर्ग (class of compounds) से संबंधित है।
यह कई तरह के पौधों में पाया जाता है, विशेष रूप से कॉफी बीन्स, चाय की पत्तियों, कोको फली (जिनका चॉकलेट बनाने के लिए उपयोग किया जाता है), और कोला नट्स में।
कैफीन कृत्रिम रूप से भी उत्पादित किया जाता है और कुछ पेय पदार्थों, खाद्य पदार्थों और दवाओं में मिलाया जाता है।
जब भी हम कैफीन का सेवन करते है, तो यह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र उत्तेजक (central nervous system stimulant) के रूप में काम करता है जो कि कुछ समय के लिए उनींदापन (drowsiness) को दूर करता है और सतर्कता (alertness) को बढ़ाता है।
हमारे मस्तिष्क में एडेनोसिन (adenosine) नामक एक न्यूरोट्रांसमीटर पाया जाता है, जिसका काम नींद और विश्राम (sleep and relaxation) को बढ़ाना है और कैफिन इसी एडेनोसिन के काम को रोकता है।
एडेनोसिन को रोककर, कैफीन मस्तिष्क की गतिविधि को तेज़ करता है और डोपामाइन और नॉरपेनेफ्रिन जैसे अन्य न्यूरोट्रांसमीटर के रिलीज़ होने को बढ़ाता है। जिससे ये दोनों अधिक समय तक जागने और थकान को कम करने में योगदान देते है।
इसी कारण जो लोग देर रात में कॉफी पी लेते है, वो रात भर यही सोचते रहते है कि उन्हें नींद क्यों नहीं आ रही हैं।
इसके उत्तेजक प्रभावों के अलावा, कैफीन का शरीर पर अन्य शारीरिक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी हो सकता है। यह हृदय गति बढ़ा सकता है, संज्ञानात्मक कार्य (cognitive function) में सुधार कर सकता है, मूड सुधार सकता है और अस्थायी रूप से मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा दे सकता है।
हालाँकि, कैफीन का असर अलग-अलग लोगों पर अलग-अलग हो सकता हैं। जैसे कुछ लोगों को अत्यधिक मात्रा में सेवन करने पर घबराहट, चिंता, अनिद्रा या गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल प्रॉब्लम्स जैसे नकारात्मक प्रभावों का अनुभव हो सकता है। जिनके बारे में हम आगे “कैफ़ीन के साइड इफेक्ट्स” वाले सेक्शन में विस्तार से बात करेंगे।
कैफ़ीन कहाँ से आया –
वैसे तो यह “कहां से आया” का हमारे टॉपिक ” कैफीन फॉर फिटनेस एंड बॉडीबिल्डिंग” से कोई लेना-देना नहीं है, फिर भी अगर आप तथ्यों को जानने में रुचि रखते हैं या किसी के सामने शेखी बघारना चाहते है, तो इसे पढ़ सकते है।
इसकी खोज के बारे में बहुत सी कहानियां मिलती है। माना जाता है कि कैफीन की पहली खोज चीन में १००० ईसा पूर्व के लगभग चाय के रूप में हुई थी।
एक चीनी दंतकथा है, जिसमें प्राचीन सम्राट शेंनोंग ने गलती से 3000 ईसा पूर्व में चाय की खोज की थी, जब कुछ पत्ते उबलते पानी के एक पात्र में गिर गए थे।
दूसरी ओर माना जाता है कि कैफीन की खोज अरब देश में 9वीं शताब्दी में की गई। अरब में कॉफी की पहली बगीचियों की कहानियां मिलती हैं, जहां पर कॉफी के वृक्षों का प्रयोग किया जाता था।
कुछ का मानना है कि कॉफी की खोज 850 ईस्वी के आसपास इथोपिया में हुई थी। एक दंतकथा के अनुसार, एक चरवाहे ने देखा कि अरेबिका के पौधे की बैरियां खाने के बाद उसकी बकरियां बहुत ज्यादा उछल-कूद करती थी, उसने कुछ बैरियां एक स्थानीय भिक्षु को दे दी और भिक्षु ने उन बैरियों का उपयोग करके दुनिया का पहला कॉफी का कप तैयार किया।
पता नहीं इन बातों में कितनी सच्चाई है? बरहाल, आधुनिक युग में, कैफीन को पहली बार 1800 के दशक की शुरुआत में जर्मन रसायनज्ञों द्वारा और उसके तुरंत बाद उनके फ्रांसीसी समकक्षों द्वारा आइसोलेट किया गया था। यहीं से इसका नाम पड़ा, जो जर्मन शब्द Kaffee और फ़्रेंच शब्द café से उत्पन्न हुआ है, जिसमें दोनों ही शब्द कॉफ़ी को संदर्भित करते हैं।
रही बात भारत की तो, कैफीन का उद्गम भारत में नहीं हुआ है और ना ही यहां कोई दंतकथा सुनाई जाती है। लेकिन फिर भी चाय और कॉफ़ी, जिनमें कैफीन पाया जाता है, धीरे-धीरे भारतीय सभ्यता और आदतों का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया।
दिलचस्प यह है कि यूरोप और उत्तरी अमेरिका में कॉफ़ी का बोलबाला है, जबकि एशिया में चाय राजा है। इसके अलावा दक्षिण अमेरिका येरबा मेट का पक्षधर है और अफ्रीका में कोला नट की खपत अधिक है।
फिटनेस और बॉडीबिल्डिंग में कैफ़ीन के फायदे और महत्व (Benefits of caffeine for fitness and bodybuilding) –
नोट : यहां पर लेखक ने पाठकों को “बढ़ा सकता है” शब्दों पर अधिक ज़ोर देने की सलाह दी है।
कैफ़ीन का उपयोग फिटनेस और बॉडीबिल्डिंग में व्यापक रूप से किए जाने के पीछे सबसे बड़ा कारण इसका परफॉर्मेंस को बढ़ाना है। इसके अलावा परफॉर्मेंस के साथ ही मेटाबॉलिज्म पर भी इसके प्रभावों का बड़े पैमाने पर अध्ययन किया गया है।
प्रदर्शन बढ़ाने वाले (performance enhancer) के रूप में, जिसके लिए फैंसी शब्द “एर्गोजेनिक (ergogenic)” का इस्तेमाल भी करते है, यह शरीर के विभिन्न पहलुओं पर काम करता है, जिसमें मांसपेशियों की सहनशक्ति (muscular endurance), मांसपेशियों की ताकत (muscular strength), फोकस और ध्यान (focus and attention), चयापचय स्वास्थ्य (metabolic health) और हृदय स्वास्थ्य (cardiovascular health) शामिल हैं।
आइए विस्तार से जानते है, caffeine के उन फायदों के बारे में जो बॉडीबिल्डिंग और फिटनेस की दुनिया में असल रूप में दिखाई दिए गए है।
१. शारीरिक ताकत और शक्ति का बढ़ना (increased muscular strength and power) –
कई अध्ययनों में देखा गया है कि कैफ़ीन strength और power output को बढ़ा सकता है, इन अध्ययनों ने कैफीन की ताकत बढ़ाने की क्षमता के पीछे के तंत्र की जांच की है। नीचे इन्ही निष्कर्षों का एक संक्षिप्त विवरण दिया गया है।
🔸Increased muscle fiber recruitment:
जैसा कि मैंने उपर बताया था, कैफीन एडेनोसिन को ब्लॉक कर सकता है। एडेनोसिन एक न्यूरोट्रांसमीटर है जो मांसपेशियों के संकुचन (muscle contraction) को रोकता है। यह एक्सरसाइज के दौरान अधिक मसल फाइबर्स को रिक्रूट या भर्ती करने की अनुमति देता है, जिससे ताकत (स्ट्रेंथ) और शक्ति (पावर) का उत्पादन बढ़ जाता है।
🔸 Enhanced central nervous system (CNS) stimulation:
कैफीन केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (CNS) को उत्तेजित करता है, जो फोकस, मोटिवेशन और रिएक्शन टाईम में सुधार कर सकता है। जोकि एक्सरसाइज के दौरान फॉर्म और टेक्निक को बेहतर बना सकता है, जिससे ताकत और शक्ति का उत्पादन भी बेहतर हो सकता है।
🔸Increased adrenaline (epinephrine) release:
कैफीन एड्रेनलिन हार्मोन के रिलीज़ को ट्रिगर करता है। एड्रेनलिन को “फाइट-या-फ्लाइट” हार्मोन के नाम से भी जाना जाता है। यह हृदय गति (heart rate) , रक्तचाप (blood pressure) और मांसपेशियों के रक्त प्रवाह (blood flow) को बढ़ाता है। जिससे एक्सरसाइज के दौरान एक्स्ट्रा एनर्जी और endurance में बढ़ावा मिलता है और फलस्वरूप ताकत और शक्ति प्रदर्शन में सुधार होता है।
🔸 Reduced perceived exertion:
कैफीन एक्सरसाइज के ज्यादा कठिन लगने के एहसास को कम कर सकता है, जिससे हम खुद को जिम में ज्यादा से ज्यादा push कर सकते है और ज्यादा रेप्स (repetition) और सेट्स (sets) लगा सकते हैं। यह समय के साथ मांसपेशियों के विकास और ताकत बढ़ाने में मदद कर सकता है।
कई अध्ययनों से पता चला है कि कैफीन strenght और power performance में काफी सुधार कर सकता है। यहाँ कुछ उदाहरण हैं:
Journal of Applied Physiology में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि रेसिस्टेंस ट्रेनिंग से एक घंटे पहले 3 मिलीग्राम / किग्रा कैफीन का सेवन करने से प्रतिभागियों द्वारा बेंच प्रेस और लेग प्रेस एक्सरसाइज के रेप्स की संख्या (number of repetitions) में क्रमशः 7% और 12% तक वृद्धि हुई।
Journal of Applied Physiology में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि स्प्रिंट साइकलिंग टेस्ट से 60 मिनट पहले 3 मिलीग्राम / किग्रा कैफीन का सेवन करने से पावर आउटपुट में 9% की वृद्धि हुई।
International Journal of Sports Nutrition and Exercise Metabolism में प्रकाशित 11 अध्ययनों के रिव्यू में पाया गया कि कैफीन सेवन ने विभिन्न खेलों और गतिविधियों में ताकत (strength) और शक्ति (power) प्रदर्शन में लगातार सुधार किया।
२. मांसपेशियों की सहनशक्ति का बढ़ना (increased muscular endurance) –
अध्ययनों से लगातार पता चला है कि एरोबिक सहनशक्ति (aerobic endurance) से जुड़े विभिन्न खेलों और गतिविधियों में कैफीन सहनशक्ति प्रदर्शन (endurance performance) में 2-4% तक सुधार कर सकता है।
Endurance performance में कैफीन के प्रभाव को दो भागों में बांट कर देख सकते है, जिनमे पहला है CNS (केंद्रीय तंत्रिका तंत्र) पर पड़ने वाला प्रभाव और दूसरा मेटाबोलिक प्रक्रियाओं पर पड़ने वाला प्रभाव।
🔸 Central Nervous System (CNS) Effects:
जैसा की आप अब तक जान चुके होंगे कि, जहां कैफीन एक ओर दिमाग में एडिनोसीन रिसेप्टर्स (adenosine receptors) से जुड़कर इस एडिनोसीन नामक न्यूरोट्रांसमीटर के काम को रोकता है। तो दूसरी ओर डोपामिन (dopamine) और नोरेपेनेफ्रिन (norepinephrine) जैसे न्यूरोट्रांसमीटर्स के रिलीज़ को बढ़ावा देता है।
ये न्यूरोट्रांसमीटर्स ही कैफीन के सहनशक्ति प्रदर्शन (endurance performance) बढ़ाने वाले प्रभावों में योगदान करते हैं।
🔸 Metabolic Effects:
कैफीन चर्बी के ऊतकों (adipose tissue) में से फैटी एसिड्स को तोड़ देता है, जो की एक्सरसाइज के दौरान फ्यूल के रूप में काम आते है। इससे मसल ग्लाइकोजेन (muscle glycogen) बच जाता है, जोकि हाई इंटेंसिटी एक्सरसाइजेस में मुख्य रूप से फ्यूल का काम करता है। परिणामस्वरूप हम लंबे समय तक वर्कआउट कर सकते है।
इसके अलावा कैफीन कार्बोहाइड्रेट मेटाबॉलिज्म को भी बढ़ा सकता है, जिससे मसल ग्लाइकोजेन स्टोर्स खाली होने में समय लगता है। यह भी endurance performance को बढ़ा सकता है, खासकर लंबे समय तक व्यायाम के दौरान।
आइए endurance performance और caffeine से संबंधित कुछ अध्यानो को भी देख लेते है ।
साइकिल चलाना: एक अध्ययन में पाया गया कि कैफीन ने प्रशिक्षित और अप्रशिक्षित दोनों व्यक्तियों में साइकिल चलाने के प्रदर्शन में 3-5% सुधार किया।
दौड़ना: कैफीन और दौड़ने के प्रदर्शन पर 18 अध्ययनों के मेटा-विश्लेषण से यह निष्कर्ष निकला कि कैफीन ने दौड़ने के समय से लेकर थकावट तक के समय में 4.5% सुधार किया।
तैराकी: एक अध्ययन से पता चला है कि कैफीन से तैराकी का प्रदर्शन 2-3% तक बढ़ा।
क्रॉस-कंट्री स्कीइंग: स्कैंडिनेवियाई जर्नल ऑफ मेडिसिन एंड साइंस इन स्पोर्ट्स में प्रकाशित एक अध्ययन में कैफीन से क्रॉस-कंट्री स्कीइंग प्रदर्शन में 2.5% सुधार दिखाया गया है।
ये अध्ययन, कई अन्य अध्ययनों के साथ, इस बात के पुख्ता सबूत देते हैं कि कैफीन कई प्रकार के स्पोर्ट्स और गतिविधियों की में endurance performance को बढ़ा सकता है।
३. शरीर की चर्बी घटना (Increased fat burning) –
फैट बर्निंग और वजन घटाने में कैफीन की संभावित भूमिका के लिए इसका बड़े पैमाने पर अध्ययन किया गया है। हालांकि कैफीन वजन घटाने के लिए कोई जादुई फॉर्मूला नहीं है, शोध बताते है कि यह इस क्षेत्र में कुछ हद तक लाभ प्रदान कर सकता है।
इसलिए मार्केट में पाए जाने वाले अधिकतर वेट लॉस और फैट लॉस सप्लीमेंट्स में कैफीन होता है।
कैफीन कई तंत्रों के माध्यम से अपना फैट बर्निंग वाला प्रभाव डालता है:
🔸Increased Fat Oxidation:
कैफीन फैट को फैटी एसिड्स में ब्रेकडाउन करने में मदद करता है, जो फिर एक्सरसाइज या अन्य फिजिकल एक्टिविटी के समय एनर्जी के लिए यूज़ किए जा सकते हैं। स्टडीज में दिखाया गया है कि कैफीन से एक्सरसाइज के टाइम फैट ऑक्सीडेशन 30% तक बढ़ सकता है।
🔸Elevated Metabolic Rate:
कैफीन बॉडी की मेटाबॉलिक रेट को कुछ समय तक बढ़ा सकता है, जिससे रेस्ट के टाइम भी कैलोरीज़ बर्न होती हैं। ये इंक्रीज टिपिकली 3-11% के बीच है।
🔸Appetite Suppression:
कैफीन का माइल्ड एपेटाइट-सप्रेसिंग इफेक्ट हो सकता है, मतलब इससे भूख कम लग सकती है, जिससे ओवरऑल कैलोरी इनटेक कम हो सकता है। हालाँकि, यह प्रभाव अक्सर अस्थायी होता है और सभी व्यक्तियों में अलग अलग हो सकता है।
बहुत सी स्टडीज़ में कैफीन के फैट बर्निंग और वजन घटाने पर होने वाले इफेक्ट्स की जांच की गई है। सब studies को मेंशन करना मुश्किल है, इसलिए नीचे कुछ उदाहरण हैं:
2020 में 21 स्टडीज़ के मेटा-एनालिसिस में पाया गया कि कैफीन सप्लिमेंटेशन से एक्सरसाइज के समय फैट ऑक्सीडेशन में सिगनिफिकेंटली इंक्रीज हुआ।
एक अध्ययन में, लोगों ने 12 घंटे तक हर दो घंटे में 100 मिलीग्राम कैफीन लिया। जिसमें पाया गया कि दुबले लोगो ने औसतन 150 एक्स्ट्रा कैलोरी बर्न की और पहले से मोटे लोगों ने 79 अतिरिक्त कैलोरी बर्न करी।
इनके अलावा एक स्टडी में दिखाया गया कि एक्सरसाइज से पहले कैफीन कन्जम्पशन से लो-इंटेंसिटी एक्सरसाइज के टाइम फैट बर्निंग में 10% की इंक्रीज और हाई-इंटेंसिटी एक्सरसाइज के टाइम 23% की इंक्रीज हुई।
जबकि कैफीन फैट बर्निंग के लिए कुछ हद तक लाभ प्रदान कर सकता है, यह ध्यान देने योग्य बात है कि यह हेल्दी डाइट और रेगुलर एक्सरसाइज का विकल्प नहीं है। ऑप्टिमल वेट मैनेजमेंट के लिए, संतुलित आहार, नियमित शारीरिक गतिविधि और पर्याप्त नींद पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है।
४. मांसपेशियों के दर्द का कम होना (Reduced Muscle Soreness) –
कैफीन मांसपेशियों में दर्द को कम करने के लिए कई तरीकों से काम करता है:
🔸Reduces Perceived Pain :
कैफीन मस्तिष्क में एडेनोसिन रिसेप्टर्स को ब्लॉक करता है, जो दर्द के सिग्नल्स को भेजने के लिए जिम्मेदार होते हैं। इन रिसेप्टर्स को ब्लॉक करके, कैफीन दर्द की धारणा को कम कर सकता है, जिससे मांसपेशियों में दर्द कम महसूस होता है।
🔸Enhances Endorphin Release:
कैफीन एंडोर्फिन नामक शरीर के नेचुरल पेनकिलर के रिलीज़ को ट्रिगर करता है। ये एंडोर्फिन मस्तिष्क में ओपियोइड रिसेप्टर्स से जुड़ते हैं, जिससे दर्द और बेचैनी कम हो जाती है।
🔸Reduces Inflammation:
कैफीन इन्फ्लेमेशन को कम करने में मदद कर सकता है, जोकि मसल सोरनेस में योगदान देता है। मसल डैमेज की भरपाई करने के लिए इम्यून कोशिकायें और इन्फ्लेमेटोरी मिडिएटर्स रिलीज़ होते है, जिनके कारण इन्फ्लेमेशन पैदा होती है। कैफीन इन इन्फ्लेमेटोरी मिडिएटर्स के उत्पादन को रोक सकता है, जिससे सूजन या इन्फ्लेमेशन कम हो जाती है।
🔸Improves Muscle Repair:
कैफीन मसल्स में रक्त प्रवाह (blood flow) को बढ़ाकर मसल्स को रिपेयर करने में भी मदद कर सकता है। इस बढ़े हुए रक्त प्रवाह से मांसपेशियों को अधिक ऑक्सीजन और पोषक तत्व मिलते हैं, जो उपचार प्रक्रिया में मदद कर सकते हैं।
🔸Reduces Muscle Damage:
कैफीन एक्सरसाइज से होने वाले डैमेज से मसल फाइबर्स को बचाकर, ओवरऑल मसल डैमेज को कम कर सकता है। यह बचाव कैफीन के एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण होने की संभावना है।
Journal of Pain में प्रकाशित होने वाले एक अध्ययन में, जॉर्जिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की एक टीम ने पाया कि कैफीन की मध्यम खुराक, लगभग दो कप कॉफी के बराबर, कसरत के बाद मांसपेशियों के दर्द को 48 प्रतिशत तक कम कर देती है।
हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि कैफीन के मांसपेशियों में दर्द पर प्रभावों पर शोध अभी भी जारी है, और पूरी तरह से इसके मैकेनिज्म को समझने के लिए और अधिक अध्ययन किए जाने की आवश्यकता है। इसके अलावा, कैफीन का मसल सोरनेस पर प्रभाव लोगों और उनके द्वारा किए गए व्यायाम के प्रकार के आधार पर भिन्न हो सकता है।
५. शरीर में ऊर्जा और मोटिवेशन का बढ़ना (Motivation and Energy Boost) –
कैफीन मोटिवेशनल और एनर्जी बूस्ट प्रदान कर सकता है, जो कि वर्कआउट को शुरू करने और वर्कआउट के दौरान मोटिवेटेड रहने में मदद करता है। यह ऐसे लोगों के लिए विशेष रूप से सहायक हो सकता है, जो लोग सुबह जल्दी या फिर रात में देर से ट्रेनिंग करते है।
आइए जानते है कि कैफीन किस प्रकार मोटिवेशन और ऊर्जा को बढ़ावा दे सकता है:
🔸Blocking adenosine receptors:
अब तक आप कई बार पढ़ चुके है कि एडेनोसिन एक न्यूरोट्रांसमीटर है जो नींद और थकान को बढ़ावा देता है। जब एडेनोसिन मस्तिष्क में अपने रिसेप्टर्स से जुड़ जाता है, तो यह मस्तिष्क को धीमा होने और नींद के लिए तैयार होने का संकेत देता है। कैफीन एडेनोसिन रिसेप्टर्स को ब्लॉक करता है, एडेनोसिन को बाइंड होने से रोकता है और आपको अलर्ट और होशियार महसूस कराता है।
🔸Increasing dopamine and norepinephrine release:
ये भी आप कई बार पढ़ चुके हैं कि डोपामीन और नॉरपेनेफ्रिन न्यूरोट्रांसमीटर हैं जो मोटिवेशन, रिवार्ड और प्लेजर देने में खास भूमिका निभाते हैं। डोपामीन उत्साह और संतुष्टि की भावनाओं से जुड़ा है, जबकि नॉरपेनेफ्रिन सतर्कता और फोकस से जुड़ा है। कैफीन इन न्यूरोट्रांसमीटरों के रिलीज़ को बढ़ाता है, जिससे बढ़ी हुई मोटिवेशन और एनर्जी की फीलिंग आती है ।
🔸Improving blood flow to the brain:
कैफीन मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह को बढ़ाता है, जो मस्तिष्क की कोशिकाओं को अधिक ऑक्सीजन और पोषक तत्व पहुंचाता है। इससे संज्ञानात्मक कार्य (cognitive function) और सतर्कता में सुधार हो सकता है।
🔸Stimulating adrenaline release:
एड्रेनलीन एक हार्मोन है जो शरीर को फिजिकल एक्टिविटी के लिए तैयार करने में मदद करता है। यह हार्ट रेट, ब्लड प्रेशर और मसल्स में ब्लड फ्लो को बढ़ाता है। कैफीन एड्रेनलीन की रिलीज़ को उत्तेजित करता है, जिससे ऊर्जा स्तर और फिजिकल परफॉर्मेंस में वृद्धि हो सकती है।
ध्यान देने वाली बात यह है कि मोटिवेशन और एनर्जी बढ़ाने पर कैफीन का असर टेंपरेरी है। इसका असर आम तौर पर कुछ घंटों तक रहता है, और फिर शरीर कैफीन को पचाना शुरू कर देता है। इसके बाद क्रैश की स्थिति बनती है, जहां आप फिर से थकान और सुस्ती महसूस करेंगे। क्रैश से बचने के लिए, अपने कैफीन के सेवन को नियंत्रित करना महत्वपूर्ण है और दिन के अंत में बहुत अधिक कैफीन का सेवन नहीं करना चाहिए।
फिटनेस और बॉडीबिल्डिंग के लिए कैफीन का उपयोग कैसे करें (How to use caffeine for fitness and bodybuilding) –
फिजिकल परफॉर्मेंस को बढ़ाने के लिए कैफीन का उपयोग फिटनेस और बॉडीबिल्डिंग में रणनीतिक रूप से किया जाना चाहिए। कैफ़ीन कब और कितनी मात्रा में लेना है, किन चीजों से लेना है और कब नहीं लेना है, यह सब पता होना अतिआवश्यक है।
१. फिटनेस और बॉडीबिल्डिंग के लिए कैफीन की मात्रा कितनी होनी चाहिए? (Dosage of caffeine for fitness and bodybuilding)
एक्सरसाइज परफॉर्मेंस को बढ़ाने के लिए के लिए कैफीन की शुरुआती मात्रा “200-300 मिलीग्राम(mg) या शरीर के वजन का 3 मिलीग्राम/किलोग्राम (3 mg/kg)” होना चाहिए, जिसे धीरे धीरे बढ़ाकर “400-600 mg या 6 mg/kg body weight” तक किया जा सकता है।
शरीर के वजन के हिसाब से 3 मिलीग्राम/किलोग्राम से कम मात्रा निश्चित रूप से जागरुकता और सतर्कता बढ़ा सकती है, लेकिन जब एक्सरसाइज परफार्मेंस को बढ़ाने की बात आती है तो वे अक्सर ये मात्रा पर्याप्त नहीं होती हैं।
3-6 मिलीग्राम/किग्रा के बीच की मात्रा एक्सरसाइज परफार्मेंस में सुधार के लिए optimal range है, क्योंकि अधिकांश अध्ययनों में 5-6 मिलीग्राम/किग्रा का उपयोग किया गया है।
कई अध्ययनो में कैफ़ीन की 6 मिलीग्राम/किग्रा से ऊपर की मात्रा दी गई, जिससे पता चला कि एक्सरसाइज परफार्मेंस में कोई ज्यादा फायदा नहीं होता। बल्कि इसके असुविधाजनक दुष्प्रभाव (साइड इफेक्ट्स) हो सकते हैं।
6 मिलीग्राम/किग्रा से अधिक मात्रा से कंपकंपी, चक्कर आना, उल्टी और अत्यधिक पसीना आना जैसे साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं।
हर किसी व्यक्ति के लिए कैफीन की संवेदनशीलता (sensitivity) अलग अलग हो सकती है। इसलिए इसे कम से कम मात्रा में लेना चाहिए और धीरे धीरे मात्रा को तब तक बढ़ाना चाहिए, जब तक कि आपको ऑप्टीमल लेवल नहीं मिल जाता।
२. फिटनेस और बॉडीबिल्डिंग के लिए कैफीन किस समय लेना चाहिए? (Timing of caffeine for fitness and bodybuilding)
एक्सरसाइज परफॉर्मेंस को बढ़ाने के लिए के लिए कैफीन को ट्रेनिंग सेशन शुरू करने के 30 से 60 मिनिट्स पहले लिया जाना चाहिए।
कैफीन को एक्सरसाइज से इतनी जल्दी लेने का मुख्य कारण इसकी Bioavailability का अधिक होना है। ज्यादा Bioavailability का मतलब है कि कोई पदार्थ शरीर में जाते ही कितनी जल्दी सर्कुलेशन सिस्टम में जाकर उसका असर दिखाने लग जाता है।
करीब 99% कैफीन हमारे पेट से सीधे खून में घुल जाता है और लेने के 45 मिनट में अब्जॉर्ब हो जाता है। इसीलिए तो कैफीन का असर इतनी जल्दी दिखने लगता है, 30-60 मिनट में ही आपको पता चल जाता है कि कैफीन काम कर रहा है।
बाकी का 1%, हमारे लीवर में कुछ एंजाइम खा जाते हैं, जिनके नाम जानने से भी आपका सिर घूम जाएगा! इन एंजाइमों का काम है कैफीन को तोड़-मरोड़कर अलग-अलग चीजों में बदलना। इनमें से सबसे ज्यादा तो बनता है पैराक्सैंथिन (84%), उसके बाद थियोब्रोमाइन (12%) और थियोफिलाइन (4%)। बस थोड़ा सा (2% से भी कम) बचता है, जो सीधे पेशाब के रास्ते बाहर निकल जाता है।
कैफीन की यही खासियत है कि वो इतनी आसानी से हमारे शरीर में घुल जाता है, इसलिए तो वो इतना मशहूर है!
३. फिटनेस और बॉडीबिल्डिंग के लिए कैफीन किन चीजों से लेना चाहिए? (Sources of caffeine for fitness and bodybuilding)
हमेशा कैफीन का स्वस्थ स्रोत चुनें। कॉफ़ी, चाय और डार्क चॉकलेट सभी कैफीन के स्वस्थ स्रोत हैं।
अध्ययनों से पता चलता है कि चाहे आप कैफीन पियें या इसे गोली के रूप में लें, इससे एथलेटिक प्रदर्शन पर बहुत कम फर्क पड़ता है। हालाँकि, इसे प्राकृतिक स्रोतों से लेने पर कुछ अतिरिक्त स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं।
सोडा और एनर्जी ड्रिंक जैसे शर्करा युक्त पेय से बचें, जो वजन बढ़ाने और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं में योगदान कर सकते हैं।
नीचे एक टेबल दी जा रही है, जिसमे आप विभिन्न स्रोतों में कैफीन की मात्रा का अनुमान लगा सकते है।
कैफीन के दुष्प्रभाव (Negative Side effects of caffeine) –
जबकि कैफीन एक्सरसाइज परफॉर्मेंस, अलर्टनेस और फोकस को बढ़ाने जैसे कुछ लाभ प्रदान करता है, इसके कई नकारात्मक दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं। खासकर जब अधिक मात्रा में सेवन किया जाता है।
यहां शरीर पर होने वाले अलग अलग प्रकार के साइड इफेक्ट्स का विस्तृत विवरण दिया जा रहा है:
१. नर्वस सिस्टम (Nervous System):
🔸Anxiety and nervousness:
कैफीन हमारे सेंट्रल नर्वस सिस्टम को उत्तेजित करता है, जिससे हमें चिंता, घबराहट और बेचैनी महसूस हो सकती है।
🔸Insomnia:
कैफीन का उत्तेजक प्रभाव नींद में खलल डाल सकता है, खासकर अगर इसे सोने के समय के करीब लिया जाए।
🔸Tremors:
कैफीन की अधिक मात्रा मांसपेशियों में कंपन पैदा कर सकती है, खासकर हाथों और उंगलियों में।
🔸Headaches:
कैफीन छोड़ने से सिरदर्द हो सकता है, खासकर उन लोगों में जो नियमित रूप से अधिक मात्रा में कैफीन का सेवन करते हैं।
२. पाचन तंत्र (Digestive system):
🔸Stomach upset:
कैफीन पेट में एसिड का उत्पादन बढ़ा सकता है, जिससे सीने में जलन, अपच और मतली हो सकती है।
🔸Dehydration:
कैफीन का हल्का मूत्रवर्धक (डायूरेटिक) प्रभाव होता है, जिससे बार-बार पेशाब आती है और अगर पर्याप्त तरल पदार्थ नहीं लिया जाता है तो डिहाइड्रेशन हो सकता है।
🔸Irritable bowel syndrome (IBS):
कुछ लोगों में कैफीन IBS के लक्षणों को बढ़ा सकता है।
३. हृदय प्रणाली (cardiovascular system):
🔸Increased heart rate and blood pressure:
कैफीन हृदय को उत्तेजित करता है, जिससे हृदय गति और रक्तचाप में अस्थायी वृद्धि होती है। पूर्व-हृदय रोग वाले व्यक्तियों में यह प्रॉब्लम पैदा कर सकता है।
🔸Arrhythmias:
कैफीन की अधिक मात्रा कुछ व्यक्तियों में अनियमित दिल की धड़कन को ट्रिगर कर सकती है।
४. अन्य संभावित साइड इफेक्ट्स (Other Potential Side Effects):
🔸Addiction and withdrawal:
नियमित और अधिक कैफीन का सेवन निर्भरता पैदा कर सकता है, जिससे अचानक बंद होने पर सिरदर्द, थकान और चिड़चिड़ापन जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
🔸Bladder problems:
कैफीन मूत्र असंयम और अति सक्रिय मूत्राशय के लक्षणों को बढ़ा सकता है।
🔸Nutrient deficiencies:
अत्यधिक कैफीन का सेवन कुछ खनिजों जैसे आयरन और कैल्शियम के अवशोषण में बाधा डाल सकता है।
🔸Pregnancy and breastfeeding:
गर्भावस्था के दौरान अधिक कैफीन का सेवन गर्भपात और कम वजन वाले बच्चे के जन्म का कारण बन सकता है। कैफीन स्तन के दूध में भी जाता है, जिससे संभावित रूप से शिशुओं पर असर हो सकता है।
साइड इफेक्ट्स को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Influencing Side Effects):
🔸Individual sensitivity:
कैफीन के प्रति कौन व्यक्ति, कैसा रिस्पॉन्स करेगा? यह सब जेनेटिक्स, उम्र, वजन और अन्य स्वास्थ्य संबंधी कंडीशंस पर निर्भर करता है।
🔸Dosage:
साइड इफेक्ट्स कितने गंभीर होंगे? यह भी कैफ़ीन की ली गई मात्रा पर निर्भर करता है।
🔸Other substances:
कैफीन को अन्य उत्तेजक पदार्थों जैसे शराब या कुछ दवाओं के साथ मिलाने से इसके इफेक्ट्स और साइड इफेक्ट्स बढ़ सकते हैं।
नकारात्मक साइड इफेक्ट्स को कैसे कम करें (Minimising Negative Side Effects):
🔸Moderate intake:
दैनिक कैफीन का सेवन 400mg (लगभग 4 कप कॉफी) तक सीमित करने से नकारात्मक साइड इफेक्ट्स को कम करने में मदद मिल सकती है।
Limiting daily caffeine intake to 400mg (approximately 4 cups of coffee) can help minimize negative side effects.
🔸Timing:
सोने से पहले या देर शाम के समय कैफीन का सेवन करने से बचें।
🔸Hydration:
डिहाइड्रेशन से निपटने के लिए पर्याप्त पानी का सेवन करते रहे।
🔸Food:
भोजन के साथ कैफीन का सेवन इसके अवशोषण को धीमा कर देता है और पेट संबंधी परेशानी कम कर देता है।
🔸Alternatives:
बिना कैफीन वाले ऑप्शन्स चुने या इसकी जगह फिर हर्बल चाय या पानी लें।
🔸Consult a healthcare professional:
यदि आप लगातार या गंभीर साइड इफेक्ट्स का अनुभव करते हैं, तो अपने डॉक्टर से परामर्श लें, जो आपको सही रास्ता बताएगा।
सार और निष्कर्ष (Summary and Conclusion):
कैफीन फिटनेस के दीवानो और बॉडीबिल्डर्स दोनों के लिए ढेरों फायदे लेकर आता है। दिमाग को तेज करने, फोकस बढ़ाने और शारीरिक प्रदर्शन को बेहतर करने की इसकी क्षमता; इसे वर्कआउट की क्वॉलिटी बढ़ाने और मनचाहा परिणाम पाने के लिए एक परफेक्ट टूल बनाती है।
मुख्य फायदे (Key benefits):
🔸Improved performance:
कैफीन सहनशक्ति (endurance), शक्ति (power output) और ताकत (strength gains) बढ़ा सकता है, जो हमें लंबे समय तक कठिन ट्रेनिंग करने में मदद करता है।
🔸Increased fat burning:
जमे हुए फैट को ब्रेकडाउन करके और मेटाबॉलिज्म को बढ़ाकर, कैफीन हमारे फैट लॉस गोल्स को पाने में मदद कर सकता हैं।
🔸Reduced fatigue and pain perception:
कैफीन का उत्तेजक प्रभाव थकान को दूर करने में मदद करता है और मांसपेशियों में दर्द का एहसास कम करता है, जिससे हम लंबा और ज्यादा बेहतर वर्कआउट कर सकते हैं।
🔸Muscle recovery:
वर्कआउट के बाद कैफीन का सेवन मांसपेशियों में ग्लाइकोजन को फिर से भरने में मदद कर सकता है, जिससे तेजी से रिकवरी और मांसपेशियों की मरम्मत में सहायता मिलती है।
ध्यान देने योग्य बातें (Considerations):
🔸Dosage:
कैफीन की आदर्श मात्रा (optimal dose) शरीर के वजन और कैफीन सेंसिटिविटी जैसे व्यक्तिगत कारकों के आधार पर भिन्न होती है। इसे एक छोटी मात्रा (low dose) से शुरू करें और धीरे-धीरे तब तक बढ़ाएं जब तक मनचाहा असर प्राप्त न हो जाए।
🔸Timing:
बेहतर एक्सरसाइज़ परफोर्मेंस के लिए वर्कआउट से 30-60 मिनट पहले कैफीन का सेवन करें।
🔸Potential side effects:
घबराहट, चिंता और अनिद्रा जैसे संभावित साइड इफेक्ट्स के ऊपर निगरानी रखें, खासकर तब जब आपने कैफीन ज्यादा मात्रा (high dose) में लिया हो।
🔸Individual response:
कैफीन अलग-अलग लोगों को अलग तरह से प्रभावित करता है। यह जानने के लिए अलग-अलग मात्रा के साथ एक्सपेरिमेंट करें कि आपके शरीर और फिटनेस लक्ष्यों के लिए सबसे अच्छा क्या है।
कुल मिलाकर, कैफीन एक हेल्दी डाइट और एक बढ़िया वर्कआउट रूटीन के साथ जिम्मेदारी से उपयोग किए जाने पर फिटनेस और बॉडीबिल्डिंग के लिए एक शक्तिशाली उपकरण साबित हो सकता है।
एक हेल्थकेयर प्रोफेशनल या रजिस्टर्ड डायटिशियन के साथ परामर्श करें। जिससे वह आपको आपकी व्यक्तिगत जरूरतों और लक्ष्यों के आधार पर बेहतर लाभ के लिए कैफिन की उपयुक्त मात्रा और समय निर्धारित करने में मदद कर सकता है।
तो अब कैफीन लो, जिम में जाओ और पसीना बहाओ!
Frequently Asked Questions
क्या कैफीन की लत लग जाती है?
कैफीन की लत उस तरह नहीं लगती जैसे कोकीन और हेरोइन जैसी दवाओ की लगती है।
हालाँकि, लोग कैफीन पर शारीरिक निर्भरता विकसित कर सकते हैं, जिसका अर्थ है कि अगर वे अचानक इसका सेवन बंद कर दें तो उन्हें विड्रॉल सिंपटम्स का अनुभव होगा।
क्या कैफीन से डिहाइड्रेशन होता है?
कैफीन का हल्का मूत्रवर्धक (mild diuretic) असर हो सकता है, जिसका मतलब है कि यह आपको बार-बार पेशाब करने के लिए जाना पड़ सकता है।
हालाँकि, इसका मतलब यह नहीं है कि यह आपको डिहाइड्रेट करता है। जब तक आप पर्याप्त पानी पी रहे हैं, कैफीन डिहाइड्रेशन का कारण नहीं बनेगा।
क्या कैफीन हृदय के लिए हानिकारक है?
मध्यम मात्रा में कैफीन का सेवन आपके दिल के लिए हानिकारक नहीं है। वास्तव में, कुछ अध्ययनों से पता चला है कि इसके कुछ हृदय संबंधी लाभ भी हो सकते हैं।
हालाँकि, यदि आपको उच्च रक्तचाप या अन्य हृदय संबंधी समस्याएं हैं, तो आपको कैफीन का सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए।
क्या कैफीन को प्री-वर्कआउट सप्लीमेंट के रूप में लेना सुरक्षित है?
यदि निर्देशानुसार लिया जाए तो अधिकांश लोगों के लिए कैफीन को प्री-वर्कआउट सप्लीमेंट के रूप में लेना आम तौर पर सुरक्षित होता है।
फिर भी, हमें ध्यान देना चाहिए कि इसकी रिकमेंड मात्रा और दिशानिर्देशों का पालन करना, अपने शरीर की सुनना और अन्य सप्लीमेंट्स या दवाओं के साथ इसके इंटरेक्शन के बारे में पता होना चाहिए।
कैफीन को रात में लेने से क्या नुकसान होता है?
रात में कैफीन लेना बुरा हो सकता है, क्योंकि इसके उत्तेजक प्रभाव के कारण नींद में बाधा हो सकती है।
कैफीन न केवल आपको संभावित रूप से जगाए रखेगा, बल्कि यह रात के दौरान गहरी नींद और आरईएम नींद (REM sleep) प्राप्त करने की आपकी क्षमता में भी हस्तक्षेप कर सकता है।
अगर हम नींद में REM phase से नही गुजरते, तो हम चाहे कितना भी सो ले, हमारे शरीर को पूरी तरह से आराम नहीं मिलता है।
क्या कैफीन को रोज़ लिया जा सकता है?
यदि आप एक स्वस्थ व्यक्ति हैं, तो हर दिन कैफीन लेना ठीक है – फिर चाहे आप बॉडीबिल्डर हों या नहीं।
जब तक आप कैफीन के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील नहीं हैं, 400 मिलीग्राम से अधिक नहीं ले रहे हैं, या ऐसी दवा नहीं ले रहे हैं जो कैफीन के साथ नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है, तब तक इसका दैनिक सेवन आपके लिए कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।
किन लोगों को कैफीन का सेवन नहीं करना चाहिए?
निम्नलिखित लोगों को कैफीन का सेवन नहीं करना चाहिए।
🔸गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं: कैफीन भ्रूण या शिशु के विकास को प्रभावित कर सकती है।
🔸बच्चे और किशोर: कैफीन बच्चों और किशोरों के लिए अधिक संवेदनशील हो सकती है।
🔸अतिसंवेदनशील लोग: कुछ लोग कैफीन के प्रति अतिसंवेदनशील होते हैं, और वे कम मात्रा में लेने पर भी दुष्प्रभावों का अनुभव कर सकते हैं।
🔸चिंता या अनिद्रा से पीड़ित लोग: कैफीन चिंता और अनिद्रा को बढ़ा सकता है।
🔸हृदय रोग, उच्च रक्तचाप या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित लोग: कैफीन इन स्थितियों को बिगड़ सकता है।