ताकत (Strength) बढ़ाने का आसान तरीका | Greasing the Groove (GtG) In Hindi

क्या आप भी gym में ताकतवर बनना चाहते हो?

क्या आप भी gym में ज्यादा से ज्यादा वजन उठाना चाहते हो?

क्या gym में आपसे दुबला लड़का आपसे ज्यादा वजन उठा लेता है?

अगर आपका उत्तर हाँ है, तो Greasing the groove आपकी मदद करेगा।

कहा जाता है कि “प्रैक्टिस मेक्स अ मेन परफ़ेक्ट“। अगर आपको किसी भी चीज़ में बेहतर होना है, तो आपको अभ्यास की जरूरत है।

इसी तरह अगर आपको ज्यादा वजन उठाने में बेहतर होना है तो आपको वजन उठाने का अभ्यास करना पड़ेगा और उसके लिये आपको जरूरत पड़ेगी एक अच्छे strength training प्रोग्राम की। 

देखा जाये तो हर ट्रेनिंग प्रोग्राम में आपको ज्यादा वजन उठाने के लिये ज्यादा वजन से ही अभ्यास करना पड़ता है। इसके अलावा थकना पढ़ता है, पसीना बहाना पढ़ता है और इसे आप हफ्ते में एक-दो बार से ज्यादा भी नही कर सकते।

लेकिन क्या हो अगर आपको ऐसा प्लान मिल जाये जिसमें ना ज्यादा वजन उठाना पड़े, ना ही थकना या पसीना बहाना पड़े और जिसे आप दिन में दस बार भी कर लो तो कोई नुक्सान ना हो।

तो आपका इन्तज़ार खत्म हुआ। आज हम ऐसे ही तरीके की बात करेंगे जिसे “Greasing the Groove” के नाम से जाना जाता है।

greasing the groove in hindi
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Greasing the Groove (GtG) क्या है और कहाँ से आया।

इस वाक्य “Greasing the Groove” का इस्तेमाल सबसे पहले Pavel Tsatsouline ने उनकी किताब “पावर टू द पीपल” में किया था। Pavel Tsatsouline एक स्ट्रेन्थ कोच और पूर्व सोवियत स्पेशल फोर्स के प्रशिक्षक है, जिन्हे “पश्चिम के फादर ऑफ़ kettlebell” के नाम से भी जाना जाता है।

Pavel का मानना है की strength is a skill (ताकत एक कौशल है) और इसे बढाने के लिये दुसरी skills की तरह हमें इस पर भी लगातार काम करना पड़ेगा।

इस Greasing the Groove की तकनीक में हम उस एक्सरसाइज के बहुत से reps लगाते है, जिसमें हमे strength बढ़ाना है। लेकिन failure के आसपास भी नही जाना है, मतलब muscles बिल्कुल भी थकना नहीं चाहिये।

इस तकनीक का मुख्य उद्देश्य एक्सरसाइज को सही form में करते हुए, muscles और नर्वस सिस्टम को थकने (fatigue होने) से बचाना है। क्योंकि इससे हम कुछ दिनो में नही बल्कि कुछ मिनटों में रिकवर हो जाते है और दिन भर में कितनी बार भी इस वर्काउट को दोहरा सकते है।

जब भी हम सही form के साथ reps लगाते है, तो नर्वस सिस्टम की कुशलता बढ़ती है, जिससे कभी भी जरूरत पढ़ने पर ज्यादा से ज्यादा muscle fibers को सक्रिय किया जा सकता है। 

Greasing the Groove का उपयोग क्यों करे ?

जब भी हम कोई एक्सरसाइज करते है तो उसके क्रियान्वन के लिये हमें एक neural pathway (तंत्रिका पथ) की जरूरत पड़ती है और Greasing the Groove से हम उस neural pathway को मजबूत बना सकते है।

जब भी हम कोई नई skill सीखते है तो एक ही बार में बहुत देर तक अभ्यास ना करके हमे उसका एक दिन में थोड़ी थोड़ी देर बाद अभ्यास करते रहना चाहिये, जिससे मस्तिष्क थकता नही है और उस समय अन्तराल में जब हम अभ्यास नही कर रहे होते है मस्तिष्क को neural connection बनाने के लिये पर्याप्त समय मिल जाता है। यही नियम उस समय भी लागू होता है जब हम एक्सरसाइज करते है।

Greasing the Groove का विज्ञान : यह कैसे काम करता है ?

Greasing the Groove के विज्ञान को समझने के लिये मुझे यहाँ न्यूरोसाइंस की एक छोटी सी मास्टरक्लास लेनी पड़ेगी। 

हमारा मस्तिष्क जिन आधारभूत कोशिकाओं से बना होता है उन्हे हम neurons (न्यूरोन्स) कहते है। एक neuron कई dendrites से मिलकर बना होता है और ये dendrites दुसरे neurons से संकेत प्राप्त करते है। 

इनमे एक cell body होती है जो इन संकेतों को प्रोसेस करती है और axons होते है जो कि एक लम्बी केबल की तरह होते है, जिनका काम दुसरे neurons के dendrites के पास पहुँचकर सूचना का आदान प्रदान करना होता है।

जब मस्तिष्क के विभिन्न भाग एक दूसरे के साथ संचार और समन्वय करते हैं, तो वे nerve impulses भेजते हैं। ये nerve impulses एक प्रकार के विद्युत आवेश होते है जो एक neuron के axon तक पहुँचते है।

अगर आप domino effect को जानते हो तो आपको पता होगा कि किस तरह चेन रिएक्शन काम करती है। जब हम एक ही लाईन में domino (चपटी आयताकार गोटियाँ) को जमाते है और पहले domino को गिराते है तो उसके पीछे के सभी domino अपने आप गिरने लगते है।

इसी प्रकार जब कोई न्यूरॉन फायर होता है तो यह घटना पहले domino को गिराने की तरह होती है। यह प्रक्रिया एक न्यूरॉन से दुसरे न्यूरॉन तक होती है, जब तक नर्व सिग्नल उनकी मंज़िल तक नही पहुँच जाते।

यह न्युरोंस की फायरिंग की गति अतुलनीय रुप से तेज़ होती है। उतनी ही तेज़ जितना आप अपनी crush के मेसेज का रिप्लाई करते हो। 😉 

अगर आप इतना साइंस पढ़ने के बाद भी सोये नही तो डटे रहिये क्योंकि अब आगे हम जानेगे इन nueral गतिविधियों पर myelin का क्या प्रभाव पड़ता है।

हमारे मस्तिष्क लगभग 50% तक एक सफेद पदार्थ से भरा होता है जिसे “Myelin (मायलिन)” कहते है। यह चर्बी वाला सफेद ऊतक (myelin) नर्व सेल्स के axon के आसपास एक आवरण बना देता है जो कि nerve impulses को तेज़ी से बढ़ने में सहायता करता है। इसका मतलब myelin नर्व इम्प्लसेस को कछुए से खरगोश बना देता है।

यह पुरी प्रक्रिया जो myelin के द्वारा neurons और nerve impulses को कुशल बनाती है, Myelination (मायलिनेशन या मेलिनक्रिया) कहलाती है। 

जब भी हम कोई एक्सरसाइज करते है तो हमारी मांसपेशियां contract होती है। यह muscle contraction तब शुरु होता है जब हमारा नर्वस सिस्टम हमारे muscle fibers को सिग्नल भेजता है। इस प्रकिया को विस्तार से जानने के लिये आप हमारा mind muscle connection वाला आर्टीकल पढ़ सकते है।

जब हम एक ही एक्सरसाइज़ को बार बार करते है, तो इससे एक जबरदस्त “न्यूरोमस्क्युलर मोटर पैटर्न” विकसित होता है। 

ऐसा इसलिये होता है क्योंकि एक ही एक्सरसाइज से muscle fibers को बार बार एक ही प्रकार के संकेत जाते है, जिन्हे muscle fibers अच्छे से पहचान लेता है। जिस तरह काफ़ी समय तक साथ रहने से आपके दोस्त आपका कमीनापन पहचान लेते है।

एक्सरसाइज के दौरान muscles उतनी ही तेज़ी से contract होगी, जितनी तेज़ी से न्यूरॉन्स या नर्व सेल्स फायर होगी और इसके कारण जितना ज्यादा 

न्यूरोमस्क्युलर मोटर पैटर्न गहरा होता चला जायेगा, उतनी ही वह एक्सरसाइज आसान होती चली जायेगी। मतलब उस एक्सरसाइज में हमारी ताकत प्राकृतिक रुप से बढ़ती जायेगी।

एक कुशल न्यूरोमस्क्युलर मोटर पैटर्न किसी एक्सरसाइज को सिर्फ आसान ही नही बनाता बल्कि उसे बल भी प्रदान करता है। क्योंकि हमारी मांसपेशियां जितनी ज्यादा तेज़ी से contract होती है , उतने ही ज्यादा muscle fibers उस contraction के दौरान सक्रिय होते है और इससे मांसपेशियों की बल पैदा करने की क्षमता बढ़ जाती है। 

जब हम gym में push-ups पहली बार करते हैं तो काफ़ी जद्दोजहद करनी पड़ती है, लेकिन बार बार इसके अभ्यास के बाद इसमें यूज़ होने वाली मांसपेशियों में बल पैदा करने की क्षमता बढ़ती है और यह आसानी से लगने लग जाती है और यह नियम हर तरह की एक्सरसाइज पर लागू होता है।

अंत में कहा जा सकता है कि आपकी एक न्यूरोमस्क्युलर कुशलता ही आपको ताकत प्रदान करती है। 

यदि इतना साइंस पढ़ने के बाद भी आप बेहोश नही हुए तो आइये जानते है कि इस तकनीक का उपयोग कैसे करें। 

Greasing the Groove का उपयोग कैसे करें।

वैसे तो Greasing the Groove की अवधारणा बिल्कुल सरल है। आपको बस कोई एक्सरसाइज चुनना है, उसके बहुत सारे reps और sets लगाना है और इसी दौरान muscle failure को भी टालना है।

लेकिन इसको आपके रूटीन में कैसे शामिल करना है ?

यह बताने के लिये नीचे कुछ तरीके दिए जा रहे है।

  1. किसी एक एक्सरसाइज को चुने और उसी पर focus करें।

Greasing the Groove का उपयोग करने के लिये किसी भी एक ऐसी एक्सरसाइज को चुनिये, जिसे आप कही भी कर सकते है। इसमें ज्यादातर push-ups, pull-ups और squats जैसी bodyweight exercises कही भी आसानी से की जा सकती है, जबकि barbell और dumbbells का हर जगह उप्लब्ध होना नामुमकिन है।

हालांकि आप हल्के dumbbells, kettlebell और resistance band को अपने पास घर में या ऑफ़िस में रख सकते है और थोड़ी थोड़ी देर में कुछ reps लगा सकते है। 

  1. अपने आसपास की चीज़ों का उपयोग करें।

इस विधि की सबसे बड़ी खासियत यही है कि इसे कही भी किया जा सकता है। चाहे घर हो या ऑफ़िस या फिर कोई पार्क। बस आपको अपनी आसपास की चीजों पर ध्यान देना है, जिसे आप वर्काउट इक्विपमेंट की तरह यूज़ कर सकते हो। 

उदहारण के लिये आप सीढियों का इस्तेमाल calf raise के लिये कर सकते हो। आपके बेग में 2-3 kg वजन भरकर biceps, triceps या shoulder की कोई भी exercise कर सकते हो। अगर आप पार्क में हो तो बैंच पर dips लगा सकते हो और घर या ऑफ़िस में किसी कुर्सी का इस्तेमाल कर सकते हो।

  1. हर एक घन्टे में एक्सरसाइज करें।

आपको चुनी हुई किसी भी एक्सरसाइज से आप हर घन्टे में कुछ reps लगाने की आदत डाल सकते है। शुरु में इसके लिये हर एक घन्टे का अलार्म लगाया जा सकता है जो याद दिलाए कि आपका एक्सरसाइज का समय हो गया है। ऐसा दिन में ही करे, रात में सोते हुए हर घन्टे उठने की कोई जरूरत नही 😆। 

अब हर घन्टे में कितनी एक्सरसाइज करनी है इसका कोई फिक्स नियम नही है। बस उतने ही reps लगाये जितने मे आपकी मांसपेशियां थके ना। यह हर किसी के लिये अलग अलग हो सकता है। जैसे कोई बिना थके 10 push-ups लगा सकता है कोई 20 तो कोई 30।

इसी तरह अगर आप कोई वजन उठाते हो तो वह भी इतना हल्का हो कि उससे muscles fatigue ना हो और ना ही form बिगड़े।

  1. Gym में workout के बीच में।

इसे आप किसी भी रेगुलर वर्काउट के बीच में आसानी से यूज़ कर सकते हो। आपने जो भी एक्सरसाइज इसके लिये चुनी हो उसे gym किसी भी दुसरी एक्सरसाइज के sets के बीच में किया जा सकता है।

उदहारण के लिये मान लिजिये आप gym में chest का वर्काउट कर रहे हो और Greasing the Groove के लिये pull-ups को चुना है। अगर आप chest की पांच एक्सरसाइज करते हो और हर एक के 4 sets लगाते हो तो आपके कुल 20 sets होंगे। इन्ही 20 sets के बीच आप 5 pull-ups बिना back muscles को थकाये आप आसानी से लगा सकते हो और इस तरह पुरे वर्काउट के दौरान 100 reps किये जा सकते है।

Greasing the Groove की कमियाँ 

ऊपर जो भी आपने पढ़ा वो सब इस विधि की सकारात्मक चीज़े थी। लेकिन हर चीज़ के दो पहलू होते है। इसी तरह Greasing the Groove के भी कुछ नकारात्मक बिन्दुओ का उल्लेख किया जाना आवश्यक है। 

  1. इससे strength और endurance तो बढ़ाया जा सकता है लेकिन muscle mass नही। अगर आप बिना साइज़ बढ़ाए, ताकत और फुर्ती बढ़ाना चाहते हो तो आप इसका उपयोग कर सकते हो।
  2. यह बहुत ज्यादा time consuming है। हालांकि छोटे-छोटे वर्काउट के समय तो आपको समय का पता नही चलता लेकिन इसका फायदा लेने में आपको कई महीने लग सकते है। क्योंकि जो gym का workout होता है उससे आप कुछ ही हफ्तों में ही परिणाम देख सकते हो।
  3. इसमें एक से ज्यादा एक्सरसाइज पर फोकस करना भी मुश्किल होता है। आपको कई महीनों तक एक ही एक्सरसाइज पर डटे रहना होगा। 
  4. इसमें आप वही एक्सरसाइज में ताकतवर बनते हो जिनमें आप इसका यूज़ करते हो। मान लो अगर आप pull-ups को Greasing the Groove के लिये चुनते हो तो इससे आपकी deadlift में कोई खास फर्क नही पड़ेगा। 
  5. इसमें आप ज्यादातर bodyweight एक्सरसाइज का ही उपयोग कर सकते हो जबकि gym में आपके पास हर चीज़ की सुलभता रहती है। 
  6. इसके अलावा अगर आप इसे gym में यूज़ करते हो तो ये आपके रूटीन workout के overall volume को बढ़ा देगा, जो कि आपके लिये counterproductive हो सकता है।

Greasing the Groove के साथ मेरा अनुभव

मैंने इस तकनीक का इस्तेमाल 2017 में किया था जब मुझे knee injury (शायद patellar tendinitis) हुई थी। उस समय वर्काउट के दौरान घुटनों के दर्द के कारण में काफ़ी समय तक heavy squats और leg press से वंचित रहा। 

मुझे लगने लगा था कि इस injury के ठीक होते-होते मेरी leg strength कम हो जायेगी। इसलिये मैंने इस तरीके को अपनाने का निर्णय लिया। 

मैंने हर घन्टे 10 bodyweight squats से शुरु किया और दो महिनों तक इसे बढ़ाते हुए हर घन्टे 40 reps तक ले गया और जब मैनें injury खतम होने के बाद जिम में weighted squats किये तो मेरी पुरानी strength मे ज्यादा कोई फर्क नही आया। 

निष्कर्ष (Conclusion)

Greasing the Groove का उपयोग करने के लिये आपको बहुत से छोटे-छोटे वर्काउट करने के लिये प्रतिबद्ध होना पड़ेगा। ये workout एक मिनट से ज्यादा नही होने चाहिये। नही तो आप आसानी से muscle failure तक जा सकते हो।

Strength बढ़ाने के लिये इसका उपयोग किया जा सकता है लेकिन muscle का साइज़ बढाने के लिये इसका उपयोग ना करें। यह आपके मस्तिष्क और मांसपेशियों के बीच के neural pathway को मजबूत बनाता है, जिससे आपके ज्यादा से ज्यादा muscle fibers सक्रिय होकर ज्यादा से ज्यादा बल उत्पन्न करते है।

अगर आप किसी bodyweight एक्सरसाइज जैसे push-ups या pull-ups में ज्यादा reps नही लगा पाते तो इसके उपयोग से आप ज्यादा reps लगाना सीख जाओगे। 

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