क्या आपकी muscles भी कड़ी मेहनत के बावजूद भी तेज़ी से बढ़ने से इंकार कर देती है?
क्या इसके पीछे कोई राज़ है जो आप नहीं जानते?
अगर कोई राज़ है भी तो, आज के बाद वो राज़, राज़ नहीं रहेगा।
क्योंकि जिस राज़ को हम जानने वाले है, वो तो आपके ही मस्तिष्क में छुपा है।
कहा जाता है कि muscle building एक शारिरीक प्रक्रिया से ज्यादा एक मानसिक प्रक्रिया है। मसल्स तो मस्तिष्क के हाथ की कठपुतलियां है। अगर मस्तिष्क इन्हें नहीं चलाएगा तो ये किसी काम की नही है।
दुनिया में जितने भी महान bodybuilders हुए है, सभी ने muscles building की अनेकों रणनीतियां अपनाई, जिन्होनें उन्हें अपने उच्चतम स्तर पर पंहुचाया।
इन सभी रणनीतियों के बीच वो ऐसी कौन सी एक मानसिक रणनीति है, जो सभी bodybuilders पर काम करती है और आप को भी ज्यादा से ज्यादा muscles बनाने में मदद कर सकती है?
उस मानसिक रणनीति का नाम है- Mind-Muscle Connection…..
आसान भाषा में कहे तो मन के द्वारा muscles को सक्रिय करना।
अनुभवी bodybuilders मानसिक रुप से अपनी muscles के साथ जुड़ने का महत्व जानते है और वो नये लोगों से भी इसे अपनी ट्रेनिंग में शामिल करने के लिये कहते है।
लेकिन आजकल की gyms के ध्यान भटकाने वाले माहौल में बहुत से लोगों के लिये muscles पर ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो जाता है और mind-muscle connection के इस महत्वपूर्ण नियम को आसानी से अनदेखा कर दिया जाता है।
Arnold Schwarzenegger और उनके जैसे कई bodybuilders इसे अपनी ट्रेनिंग का सबसे महत्वपूर्ण अंग मानते थे। उनका मानना है कि ज्यादा से ज्यादा muscles बनाने के लिये एक बेहतर mind-muscle connection बहुत जरुरी है।
इसके अलावा एक समूह ऐसा भी है, जो इसे bro science मानता है। उनके मुताबिक अगर किसी एक्सरसाइज को good form और full range of motion के साथ किया जाये तो, muscle को मानसिक तौर पर सक्रिय करने की कोई जरूरत नही है, muscles अपना काम खुद कर लेगी।
Bodybuilders की इस बिना सबूत (evidence) वाले कोन्सेप्ट को बाद में “evidence based practice” वाले अध्ययनों के द्वारा कमोबेश मान लिया गया। विज्ञान भी अब मानता है कि mind-muscle connection की muscle building में एक महत्वपूर्ण भुमिका है।
वैसे भी अर्नोल्ड और उनके समय के बॉडी बिल्डरों को evidence based studies की जरुरत नहीं थी जो उनके तरीकों का समर्थन करें। वे तो सिर्फ gym जाते थे और पुरा ध्यान इस चीज़ पर लगा देते थे कि कैसे ज्यादा से ज्यादा muscle building कर सके। Mind-muscle connection भी उनके इसी रूटीन का हिस्सा था।
Mind-Muscle Connection क्या है ?
जब हम एक्सरसाइज़ करते है, तो हमारा ध्यान कई चीजों पर होता है। जैसे बॉडी की पोजीशन, एक्सरसाइज़ का form, एक्सरसाइज की स्पीड आदि। इन चीज़ों को “external focus” कहा जाता है, जिनमें हमारा ध्यान शरीर की बाहर की चीज़ों पर होता है।
लेकिन जब हम ध्यान को अंदर की चीजों, जैसे muscles, पर केंद्रित करते है तो इसे “internal focus” या फिर mind-muscle connection कहा जाता है।
Mind-Muscle Connection में हम जानबूझकर हमारे पुरे ध्यान को उस एक muscle या muscle group के ऊपर ले जाते है, जिसमें एक्सरसाइज के दौरान contraction होता हैं। इस तरह से ध्यान लगाने पर उस muscle की contraction की क्षमता बढ़ जाती है।
आसन शब्दों मे कहे तो जितना ज्यादा हमारा mind किसी muscle के contract होने पर फोकस करेगा, उतनी ही ज्यादा उस muscle में growth होगी।
उदाहरण के लिये, जब हम bicep curls करते है तो हम अपना सारा ध्यान उसमें यूज़ होने वाली bicep brachii muscle के ऊपर ले जाते है और महसूस करते है कि सारा काम वही muscle कर रही है।
Mind-Muscle Connection कैसे काम करता है?
शायद आप जानते होंगे कि हमारे शरीर के द्वारा की जाने वाली सारी हरकतें या मूवमेंट मस्तिष्क के द्वारा नियन्त्रित किये जाते है। मांसपेशियों की सक्रियता वास्तव में एक जैव रासायनिक प्रक्रिया है जो मस्तिष्क में शुरू होती है।
जब भी कोई एक्सरसाइज करते है तो हमारी माँसपेशियाँ सिकुड़ती है जिसे muscular contraction कहते है और हमारा मस्तिष्क ही है जो उस muscle को contract होने का सिग्नल देता है।
जब हमारा मन हमारे शरीर से मिलता है, तो mind-muscle connection बनता है और जहाँ ये बनता है, उसे “neuromuscular junction” कहते है।
हमारे शरीर में एक “केन्द्रिय तंत्रिका तंत्र” होता है, जो कि एक ऊर्जा से बने पुल की तरह है, जो सिर के पिछ्ले हिस्से से रीढ़ की हड्डी तक जाता है।
जब भी हमारा शरीर कोई हरकत या movement करता है – जैसे उठना, बैठना या चलना। तो हमारा मस्तिष्क इसकी सूचना “केन्द्रिय तंत्रिका तंत्र (central nervous system) को भेजता है, जो इसे परिधीय तंत्रिका तंत्र (peripheral nervous system) को सौंप देता है, जो आगे जाकर इन्हें उन तंत्रिकाओं (nerves) को भेज देता है जो कि उस व्यक्तिगत muscle से जुड़ी होती है।
शरीर के सबसे छोटे कोशिकीय स्तर पर होने वाला यह काम बहुत ही जटिल होता है और ये लगभग एक सेकंड के हज़ारवे हिस्से में सम्पन्न हो जाता है। यह muscles से जुडी तंत्रिकाएँ एक रासायनिक न्यूरोट्रांसमीटर रिलिज़ करती है, जिसे “acetylcholine (ऐसीटाइलकोलिन)” कहते है।
तंत्रिकाओं और muscles को अलग करने वाली छोटी सी जगह होती है, जिसे “synapses” कहते है। जब neuromuscular junction पर acetylcholine रिलीज़ हो जाता है तो ये synapses को पार करके muscle fibers की सतह पर स्थित receptors से बन्ध (bind) जाता हैं। और इस तरह से muscle contraction सम्पन्न होता है।
जितना ज्यादा यह मस्तिष्क से लेकर muscles तक का नेटवर्क मजबूत होगा, उतने ही ज्यादा muscle fibers काम करेंगे।
हमारी हर एक muscle कई muscle fibers से मिलकर बनी होती है और जब mind-muscle connection मजबूत होता है, तो ज्यादा संख्या में muscle fibers काम करते है। जिससे muscle contraction ज्यादा प्रभावी तरीके से होता है और ज्यादा muscle growth होती है।
Mind-Muscle connection की जरूरत क्यो पड़ती है?
कई बार देखा जाता है कि कुछ लोग जिम में बहुत ज्यादा मेहनत करते है, फिर भी उन्हें वैसे परिणाम नही मिलते जैसे मिलने चाहिये। कई बार आपने जिम में लोगों को शिकायत करते सुना होगा कि ” मैं इतना वजन उठाता हूँ फिर भी बॉडी नही बन रही।”
इनमें से कई लोग अच्छी ट्रेनिंग के साथ एक अच्छी डाइट और रेस्ट भी लेते है, फिर भी muscle building में नाकाम हो जाते है।
अगर आप के साथ भी ऐसा होता है तो आपको भी जरूरत है nervous system और muscles के मजबूत सहयोग की, मतलब एक मजबूत mind-muscle connection की।
Dr. Brad Schoenfeld और Dr. Bret Contreras ने इस अध्ययन में बताया है कि किस तरह कि hypertrophy (muscle building) रिस्पांस तब अधिक होता है, जब मन और मांसपेशियों का संबंध बेहतर होता है।
Mind-muscle connection के महत्व को समझने की लिये हमें सबसे पहले यह समझना पड़ेगा कि किसी exercise के वक्त muscles कैसे काम करती है?
जब भी हम वजन उठाते है तो उसमें एक से ज्यादा muscles काम करती है।
जो muscles उस एक्सरसाइज के दौरान वजन उठाने में सबसे ज्यादा काम करती है उसे primary muscles या primary movers कहते है और जो muscles वजन उठाने में primary mover को सपोर्ट करती है उन्हें secondary muscles कहा जाता है।
Powerlifting और दुसरे वजन उठाने वाले खेलों में किसी भी एक्सरसाइज में ज्यादा से ज्यादा वजन उठाना ही प्रमुख लक्ष्य होता है, इसलिये इनमें एक से ज्यादा muscles काम करती है।
लेकिन bodybuilding में उन्हीं एक्सरसाइज के द्वारा के द्वारा किसी एक primary muscle को target किया जाता है, इसलिये primary muscle को “target muscle” भी कहते है।
उदाहरण के लिये जब भी हम Bench press करते है तो उसमें pectoralis major (chest) को target किया जाता है, इसलिये इसे primary या target muscle कहा जा सकता है। जबकि इसे triceps और shoulders सपोर्ट करते है, इसलिये इन्हें secondary muscles कहा जा सकता है।
किसी भी target muscle के साथ मजबूत mind-muscle connection बनाने के लिये उसे हर rep के दौरान महसूस करना बहुत जरुरी है। कई लोग इतना ज्यादा वजन उठाते है की इन muscles को महसूस करना नामुमकिन हो जाता है।
बहुत से लोग ज्यादा वजन उठाकर खुश हो जाते है और सोचते है कि इससे उनकी muscles ज्यादा grow होगी। लेकिन उन लोगों को समझना जरुरी है कि सिर्फ लोहे के वजन को ऊपर नीचे करने से muscles नही बनती। जबकि muscle building के लिये target muscle को वजन के द्वारा बलपूर्वक सक्रिय किया जाता है।
जितना ज्यादा किसी target muscle को किसी वजन को उठाने के लिये काम करना पड़ेगा, उतना ही ज्यादा बल उत्पन्न होगा और उतनी ज्यादा muscle building होगी।
मान लीजिये कि अगर आप 100-kg से bench press करते हो लेकिन आपका mind-muscle connection कमजोर है तो हो सकता है आपके shoulder और tricep ज्यादा वजन उठा ले और आपके chest पर इसका आधा 50-प्रतिशत ही load आये। इसका मतलब होगा की आपका chest 50-kg ही वजन उठा पाया।
ज्यादा से ज्यादा लोड चेस्ट पर आए इसके लिए आपको वजन को कम करके mind-muscle connection पर ज्यादा ध्यान देना चाहिये।
मान लो अगर आप वजन को घटाकर 80-kg कर दे और इस बार एक मजबूत mind-muscle connection के साथ इसे उठाए तो हो सकता है कि आपका chest 70-kg तक वजन उठा ले। तो आपका chest पिछ्ली बार से ज्यादा काम करेगा और chest में ग्रोव्थ भी पिछ्ली बार से ज्यादा होगी।
Mind-Muscle Connection को मजबूत कैसे करें?
जब भी हमारा मन इधर उधर भटकता है, हम कोई काम ठीक से नहीं कर पाते। किसी भी काम को जितना हो सके कुशलतापूर्वक और सही ढंग से करने के लिये हमारे विचारों का हमारे साथ होना बहुत जरुरी है।
जब हमारा मस्तिष्क और शरीर एक साथ काम करता है, तो किसी भी काम की गुणवत्ता अधिक हो जाती है।
वजन उठाते समय भी ये बात लागू होती है। जब हम अपने पूरे ध्यान को muscle contraction में लगा देते है, तो हमारे workout में नाटकीय ढंग से सुधार आ जाता है।
Muscle building के लिये mind-muscle connection को मजबूत करने का मतलब target muscle को प्रभावी रुप से सक्रिय करना है।
मान लो अगर हम कोई एक्सरसाइज chest के लिये कर रहे है तो हमारा पुरा ध्यान chest muscle की सक्रिय करने में होना चाहिये। अगर उस एक्सरसाइज को करने में tricep और shoulder ज्यादा यूज़ होते है आपका chest ज्यादा काम नहीं करेगा।
इसे यूँ कहा जा सकता है कि पूरे set के दौरान हमारा ध्यान primary muscle पर होना चाहिये ना कि secondary muscles पर।
यहाँ नीचे कुछ Tips दी जा रही है जो mind-muscle connection को मजबूत बनाने में आपकी मदद करेगी।
१. बॉडीबिल्डिंग स्टाईल में ट्रेनिंग करें। Train like a bodybuilder.
वैसे तो बहुत से लोग जो इस post को पढ़ रहे हैं, यह जानते होंगे कि बॉडीबिल्डिंग स्टाइल ट्रेनिंग क्या होती है?
जो लोग नहीं जानते उनके लिये बता दूँ कि इस प्रकार की ट्रेनिंग में bodybuilder अपने एक बार में किसी वजन को उसकी क्षमता (जिसे 1RM कहते हैं) का लगभग 60-80% वजन उठाते है और इसे 8-15 बार दोहराते (मतलब reps लगाते) है।
इसमें वे मांसपेशियों का आकार बढ़ाने (muscle building) के लिये कई तरह की तकनीकों का इस्तेमाल करते है, जिन्हें “intensity techniques” कहा जाता है।
इन तकनीकों के द्वारा मांसपेशियों के थकने के बाद (मतलब muscular failure) के बाद भी ट्रेनिंग को जारी रखा जा सकता है। जिससे पहले तो छोटे muscle fiber सक्रिय (recruit) होते है, धीरे-धीरे failure तक पहुँचते- पहुँचते बड़े muscle fibers को भी सक्रिय होने के लिये विवश होना पड़ता है।
ऐसा होने से हम muscle contraction को बहुत अच्छी तरह से महसूस कर पाते है, जिससे फोकस और दृढ़ता बढ़ती है और एक बेहतर mind-Muscle connection बनाने में मदद मिलती है।
२. मसल्स फुलाना सीखे। Practice flex.
Muscles को flex करना मतलब उनको contract करना जिसे हम मांसपेशियों को फुलाकर दिखाना भी कहते है। जितने भी सफल bodybuilders हुए है, वे सभी muscle flexing के महत्व को जानते है। इसलिये वो लोग घण्टों अपना समय posing में निवेश करते है।
मैं यहाँ आपको उनकी तरह घण्टो तक posing करने का नही बोल रहा बल्कि एक्सरसाइज sets के बीच-बीच में कुछ सैकेण्ड (लगभग 20-30 सैकेण्ड) तक target muscle को flex करने का कह रहा हूँ।
अगर आप बिना किसी वजन के अपनी muscles को contract नही कर पाते तो आप वर्काउट के दौरान भी प्रभावी ढंग से muscles को contract करने में खुद असहाय पाओगे।
इस तरह से muscle को flex करने से इसमें रक्त का प्रवाह बढ़ जाता है, जिससे Mind-Muscle connection में नाटकीय ढंग से सुधार आ सकता है।
३. वॉर्म-अप सेट्स लगाये। Use Warm up sets.
Mind-muscle connection को मजबूत बनाने के लिये किसी भी एक्सरसाइज के heavy sets लगाने से पहले हल्के वेट से warm up sets लगाना बहुत जरुरी है।
जब भी हम कोई एक्सरसाइज करते है, तो हमारा मस्तिष्क उस एक्सरसाइज को सही ढंग से करने के लिये muscle fibers को सक्रिय करने का सिग्नल भेजता है।
जब भी हम कम वजन से warm up set लगाते है तो मस्तिष्क उन संकेतों (signals) की संख्या को बढ़ा देता है, जो target muscle के fibers को सक्रिय करने के लिये भेजे जाते है और इसके बाद जब हम ज्यादा वजन (working sets) उठाते है तो ज्यादा muscle fibers सक्रिय होने से contraction की क्वालिटी बढ़ जाती है।
४. पर्याप्त वजन उठाए। Don’t Ego lift.
किसी को जिम में रत्तीभर भी फर्क नहीं पड़ता की आप कितना वजन उठाते हो। सिर्फ दूसरो को दिखाने के लिए ज्यादा वजन उठाना मतलब ego lifting करना, injury को बुलावा देने के साथ ही मसल्स से आपका फोकस हटा सकता है।
जब भी हम किसी एक्सरसाइज में जरूरत से ज्यादा वजन उठाते है, तो target muscle उस भार को अकेली सहन नही कर पाती और इसे उठाने के लिये secondary muscles को ज्यादा काम करना पड़ता है।
इसके लिये भी हम हमेशा की तरह bench press का ही उदाहरण लेंगे। जब भी हम खास तौर से muscle building के लिये bench press करते है तो हमारा टारगेट chest development होता हैं ना की triceps या shoulder।
लेकिन जब भी हम bench press में बहुत ज्यादा वजन उठाते है, तो आम तौर पर triceps का lateral head और shoulder का front head (anterior deltoid) ज्यादा काम करते है। जिससे हमारा कनेक्शन chest muscle (pectoralis major) से टुट जाता हैं जो कि target muscle है।
इसके अलावा इस अध्ययन से साफ़ पता चलता है कि जब हम ज्यादा वेट उठाते है, तो हमारा mind-muscle connection भंग हो जाता है।
५. कल्पना का प्रयोग करें। Use visualisation.
Visualization अविश्वसनीय रुप से एक mind-muscle connection बनाने के लिये एक शक्तिशाली तरीका है। सिर्फ bodybuilding ही नही, मन और शरीर के सम्बन्ध को मजबूत बनाने के लिये सफल लोगों के द्वारा visualization के उपयोग के उदाहरणों से हर क्षेत्र भरा पड़ा है।
हमेशा से कई सफल एथलीट, उद्यमी, बिजनैस लीडर्स, अभिनेता, संगीतकार और मशहूर हस्तियां आदि अपनी परफोर्मेंस बढ़ाने लिए विज़ुअलाइज़ेशन के अलग अलग तरीकों का उपयोग करते आये है।
Bodybuilding में Arnold Schwarzenegger ने visualization का उपयोग किया और इसे बढ़ावा दिया। Arnold कहते है कि जब भी वो biceps की एक्सरसाइज करते थे तो उस समय biceps को पहाड़ों की तरह बढ़ते हुए visualize करते थे।
इसके अलावा आधुनिक bodybuilding में Kai Greene भी visualization और mind-muscle connection को उनकी ट्रेनिंग का no.1 factor मानते है।
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के डॉ. श्रीनिवासन पिल्ले ने योर ब्रेन एंड बिजनेस: द न्यूरोसाइंस ऑफ ग्रेट लीडर्स नामक किताब में लिखा है कि अध्ययनों से पता चला है कि हम मस्तिष्क के उसी हिस्से का उपयोग किसी क्रिया की कल्पना (visualization) करने के लिए करते हैं जैसा कि हम उस क्रिया को करते समय करते हैं।
वैज्ञानिक तौर पर visualization की ताकत को पूरी तरह से आजतक कोई नहीं समझ पाया है। लेकिन ये सबको पता है कि यह काम जरूर करता है।
Mind-Muscle Connection का उपयोग कब ना करें?
अगर आपका लक्ष्य ज्यादा से ज्यादा muscle building (hypertrophy) करना है तो बेशक आपको इसका उपयोग करना चाहिए। लेकिन अगर आपका प्रमुख लक्ष्य केवल ज्यादा से ज्यादा वजन को उठाकर दिखाना है, तो इसका उपयोग ना करें।
जब भी हम ताकत (strength) बढ़ाने के लिये ट्रेनिंग करते है तो हमारा मक्सद सिर्फ वजन को एक सिरे से उठाकर दुसरे सिरे तक ले जाना होता है और इसके लिये हम भारी वजन का इस्तेमाल करते है।
इस टाइप की ट्रेनिंग में हम जो एक्सरसाइज (squats, deadlift आदि) यूज़ करते है, उनमें एक बार में एक से ज्यादा muscles का उपयोग होता हैं और एक बार में एक साथ कई muscles पर focus करना मुश्किल होता है।
जब भी हम इस प्रकार के complex movement वाली एक्सरसाइज लेते है, तो हमें internal focus (Mind-Muscle connection) से ज्यादा external focus पर ध्यान देना चाहिये, जिससे इनमें हमारी परफोर्मेंस बेहतर हो सके।
निष्कर्ष (Conclusion)
ऊपर बताई गई सारी बातों से यही निष्कर्ष निकलता है कि भले ही आप कितनी भी मेहनत कर लो लेकिन अगर एक बेहतर Mind-Muscle connection बनाने में असफल होते हो तो, आप कभी अपनी पूर्ण क्षमता तक नहीं पहुँच पाओगे।
ट्रेनिंग के दौरान हमें अपने मन और मस्तिष्क पर काबू रखना चाहिये। क्योंकि हमारी क्षमता तब और अधिक बढ़ जाती है जब हम बाहरी दबावों और मानसिक बाधाओं पर जीत प्राप्त कर लेते हैं।